आओ गणतंत्र दिवस मनाएँ,
नाचें, गायें, मदमस्त हो जाएँ।
स्वतंत्रता का जश्न मनाएँ,
ख़ुद को स्वच्छन्द नहीं, स्वतंत्र बताएँ।
भगतसिंह, सुखदेव, सद्गुरू की,
निःस्वार्थ बलिदानी को याद करें।
बापू, नेहरू, सुभाष चन्द्र बोस की,
कुर्बानी को हम याद करें।
वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की वीरता का,
हम सच्चे मन से स्मरण करें।
धोखाधड़ी से ले ली कैसी जान, वीरांगना की,
इसे न कभी भी हम विस्मृत करें।
15 अगस्त सन् 1947 को स्वतंत्र हुए हम,
26 जनवरी सन् 1950 को मनाते गणतंत्र दिवस हम।
बाबा अम्बेडकर जी के अथक प्रयासों से इस दिन,
नियमों से आबद्ध हो स्वतंत्र बन सके हम।
अब हम स्वच्छन्द नहीं, स्वतंत्र हैं,
अपनी इक लिखित नियमावली रखते हैं।
इस नियमावली को हम संविधान कहते हैं,
बाबा ने नीतिबद्ध होकर इसे बनाया है।
संविधान हमारे अधिकारों औ कर्त्तव्यों का ब्यौरा है,
हमारी जान औ माल का ईमानदारी से करता पहरा है।
लचीला है संविधान हमारा, लेकिन सशक्त है,
नेताओं का नहीं वह अंधभक्त है।
ग़ुलाम नहीं वह किसी का,
सारा जहां है गुलाम उसका।
सारे जहां में सर्वोपरी हमारा संविधान है,
कोटि कोटि धन्यवाद तुमको बाबा है।
26 जनवरी गणतंत्र दिवस हमारा,
दिल लुभावित करता है हमारा।
नाचो, गाओ, ख़ुशियां मनाओ,
मौज उड़ाओ, मस्ती मनाओ।
हर कच्ची कली को आज़ादी से प्रफुल्लित होने दो,
हर गली हर गलिहारे को दुल्हन जैसा तुम सजा दो।
आया है गणतंत्र दिवस,
झूमो, नाचो ख़ुशियां मनाओ।
आया है गणतंत्र दिवस हमारा,
सब देशों से है वह प्यारा।
श्रीमती प्रेम मंगल
राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य
मातृभाषा उन्नयन संस्थान,
इन्दौर, मध्यप्रदेश