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चाँदनी रात में तारो को , देखके सोचू ,
काश ! कोई सितारा मेरे आँगन में उतरता ।
मेरे घर में आये एक छोटी सी गुड़िया ,
मेरा आँगन भी आसमान सा निखरता ।।
अब तो खुदा ! सुन मेरी पुकार ,
मेरे घर भी एक फ़रिश्ता उतार ।
मुझे छोटी गुड़िया का दे वरदान ,
ताकि दे सकूँ उसे ढेर सारा दुलार ।।
बेटे की ख्वाहिश तो सब करते है,
मुझे तो बस एक छोटी गुड़िया दे दे ।
बेटे जायदाद का बटवारा करते है,
शायद ! बेटी दवाई की पुड़िया देदे ।।
बहुत समझदार बनके जिया हूँ ,
बच्ची के संग मै बच्चा बन जाऊं ।
आजकल की दोतरफी दुनिया में ,
बच्चों की तरह मै सच्चा बन जाऊ ।।
नन्ही प्यारी और छोटी सी गुड़िया ,
कोख में ही मार देती ये दुनिया ।
मुझको भी गुड़िया का दीदार करादो ,
क्यों सीमीत हो जाती इनकी दुनिया ।।
नन्ही व छोटी सी हो मेरे गुड़िया ,
कंधे पर बस्ता स्कुल में जाये ।
हाथ में लेके नमकीन की पुड़िया ,
डाल के झप्पी, हरदम मुस्कुरायें ।।
मेरा एक ही सपना है अब ,
मेरे घर में भी लक्ष्मीजी आये ।
रखे अपने कोमल से कदम और ,
“जसवंत” के घर को जन्नत बनाये ।।
नाम – जसवंत लाल बोलीवाल ( खटीक )
पिताजी का नाम – श्री लालूराम जी खटीक ( व.अ.)
माता जी का नाम – श्रीमती मांगी देवी
धर्मपत्नी – पूजा कुमारी खटीक ( अध्यापिका )
शिक्षा – B.tech in Computer Science
व्यवसाय – मातेश्वरी किराणा स्टोर , रतना का गुड़ा
राजसमन्द ( राज .)
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