प्यार  

0 0
Read Time2 Minute, 46 Second
sanjay
बचपन की यादो को भूलाया जा नहीं सकता /
दादा दादी नाना नानी का प्यार,
कभी भी दिल दिमाग से मिटाया जा नहीं सकता /
अपनो का प्यार कैसा भी रहा हो ,
पर उसे जीवन के पन्नो से भुलाया जा नहीं सकता  /
बड़ी मुश्किल में हूँ, कैसे इज़हार करूँ../
तू तो खुशबू है, तुझे कैसे गिरफ्तार करूँ…/
आँखों से छलकती मोहब्बत को, यूँ अल्फ़ाज़ मिलते है /
जो गिरे आँखों से दो बुँदे वो भी, तो प्यार बयां करते है..!!
दिल और दिमाग पर, तेरी ही छाया दिखती है /
कुछ भी करो , बस तू ही तू दिखती है /
सुबह से रात तक मेरा जीना ,बेहाल कर देती है /
क्या लोगो इसी को आप प्यार कहते है ?
मुसाफ़िर हो तुम भी, मुसाफ़िर हैं हम भी../
किसी मोड़ पर,फिर मुलाक़ात होगी./
क्या अधूरा प्यार, एक बार फिर रंग लाएगा /
जैसा हम सोचते थे, वैसा ही घर संसार बन जायेगा /
प्यार “उन फूलों के समान हैं /
जो कुचले जाने के बाद भी /
खुशबू “देना बंद नहीं करते /
प्यार के बिना इंसान अधूरा है //
परिवार का स्नेह प्यार,अमृत से कम नहीं  /
जब भी हम तनहा होते है,
बस अपनो की यादो में खो जाते है //
क्योकि अपने अपने होते है /
तभी तो हमारे सपने सच होते है //

#संजय जैन

परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों  पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से  कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें  सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की  शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

प्यारी हिन्दी

Tue Sep 11 , 2018
हिन्दी दिवस विशेष…….. सबसे सरल सहज है हिन्दी सबसे पावन निर्मल हिन्दी शब्द अलौकिक अर्थ अनेक विषय विश्व का है बस एक जिसपर गर्व हमें है रहता हिन्दी हैं हम, मन है कहता हिन्दी मन की अभिलाषा है हिन्दी जीवन की आशा है अद्भुत, अद्वितीय ,अनुपम हिन्दी भाषा का श्रृंगार […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।