प्रकृति सहनशीलता की जननी है।
कल आज व कल की वैतरिणी है।
कभी किसी को दोषी न ठहराती।
बड़े प्रेम से मानव को है समझाती।।
प्रकृति की सुन्दरता वृक्ष कहलाते।
मानव के प्राणाधार यही बन जाते।।
हरियाली की चादर ओढ़े सरसाती।
मानव करता जुल्म ये चुप रह जाती।।
सुनले मानव जरा लो इसे संज्ञान में।
काटता है वृक्ष क्यों तू भरे अज्ञान में।।
जीवन की परिभाषा पे गर गौर करो।
मेरे जैसे सहने का भला ये दौर करो।।
होगे अरमान पूरे अगर मुझे बचा लो।
जीवन की सरिता को खुद महका लो।।
#नवीन कुमार भट्ट
परिचय :
पूरा नाम-नवीन कुमारभट्ट
उपनाम- “नीर”
वर्तमान पता-ग्राम मझगवाँ पो.सरसवाही
जिला-उमरिया
राज्य- मध्यप्रदेश
विधा-हिंदी