मेरा कर्मा तू, मेरा धर्मा तू,
मेरा जैनधर्म,सब कुछ है तू।
हर कर्म अपना करेंगे,
जैन धर्म के अनुसार।
जैनकुल में जन्म लिया है,
जैनी होने का अभिमान।
हम जीयेंगे हम मरेंगे,
जैन धर्म के अनुसार।
जैनकुल में जन्म लिया है,
जैनी होने का अभिमान।।
तू में कर्मा, तू मेरा धर्मा,
तू मेरा अभिमान है।
जैन धर्म तुम पर,
मेरा जीवन कुर्बान है।
हम जिएंगे हम मरेंगे,
जैन धर्म के अनुसार ।
जैनकुल में जन्म लिया है।
जैनी होने का अभिमान है।।
दिगम्बर, श्रेताम्बर, स्थानकवासी,
हम सब जैन है, बस हम जैन है।
जो करे पंथवाद की बाते,
वो महावीर का भक्त है ही नहीं।
हम जीएंगे हम मरेंगे,
जैन धर्म के अनुसार ।
जैनकुल में जन्म लिया है।
जैनी होने का अभिमान है।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।