#सुरेखा अग्रवाल
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एक मुस्कुराहट
देने का शुक्रिया
थोडा पास बुलाने
का शुक्रिया
वह तकियों के
साथ की गुस्ताखियाँ
वह पेट में बल पड़ने तक
का हँसना हँसाना
सुनो
वह गुलाबी यादें
याद दिलाने का
शुक्रिया…..!!!
हौले से शब्दों से
छूना
वह कान के पास
शरारत से गुनगुनाना
हाथो में हाथ थामे
वह फिर से बुलाना
सुनो हमकदम बन
साथ चलने का
शुक्रिया…!!
सहमति हूँ
थोडा डरती हूँ
हारती हूँ
जित ती हूँ
एक परिधि बन
तुम तक पहुँचती हूँ
उस परिधि को
मान देने का शुक्रिया…!!!
सुनो रहना तुम
उस आसमाँ
सरीखे
मुझें ढांपे हुए
भिगाना मुझे
उस तेज़ बारिश में
शुभ्र् ध्वल धुप
में फिर देना एक
आकार मुझे तुम
बन जाना फिर
एक परछाई से
चलना फिर
संग संग
श्यामल रातो में
सुनो छाया बन
संग संग चलने
का शुक्रिया…!!!
Behad Khoobsoorat emotional poem..
Kro it up Swara..