दर्पण तू साँची कहइ , झूठइ जग सब लोग।
किरच किरच हो जात है,साँच यही संजोग।।
साँच सहन नहि कर सकै,जग पाखंडी धूर्त।
दर्पण दोष करार दइ , लखइ न अपणो मूर्त।।
दशरथ देख्यो आइनो, रामहि राज विचारि।
रामलषनसिय वन गये,वै परलोक सिधारि।।
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दर्पण थारी साँच सूँ , खिलजी बण शैतान।
चित्तौड़़ाँ बरबाद कर ,पदमनियाँ बलिदान।।
दर्पण सत साहित्य है,सब नै साँच बताय।
भावि पीढ़ी चेतजा, सामी आँच जताय।।
दर्पण तुलसीदास नै, मुकुरि दियो बतलाय।
रामचरित मानस कथा , सबनै दई सुनाय।।
सत सैया के दोहरे , दरपण जइसे होय।
साँच प्रीत भगवान की,नर मत आपा खोय।।
दर्पण दास कबीर का, हंसा नीर व क्षीर।
झीनी चादर में रखी , दरपण तेरी पीर।।
मीरा ने संसार को , दरपण दिया दिखाय।
राज घराना त्याग के, बसि वृन्दावन जाय।।
आज काल के आइने , झूठ दिखावें मान।
लोकतंत्र बदनाम कर, खुद चावै अरमान।।
मुगल काल के आइने,आत्मकथा कहलाय।
रंग महल में जड़ गये, शीश महल बतलाय।।
बचते रहिजो आइनै , साँचइ खोट कहाव।
नाही तो नर सोच लै,किरच किरच हो जाव।।
दर्पण लख रींझो मती, रंग व रूप निहारि।
आतम दर्पण देखिए,मष्तक सोच विचारि।।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः