गुंजन श्रीवास्तवकटनी (मध्यप्रदेश)
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आज पुराने किस्सों को
फिर नये सुरों में दोहराना है
ये आज़ादी का कोरस है
हम सबको मिल के गाना है
अपने दिल की बात
कह दूँ सबसे आज
मुझे तिरंगा सबसे प्यारा
सूरज तक इसे पहुँचाना है
हुई सुबह तो पंछी जागे
मीठे गीत सुनाते हैं
उन गीतों में हमको अपने
बीते दिन याद आते हैं
जन गण मन का गान
गाते बढ़ती शान
देश हमारा देश की ख़ातिर
हमको कुछ भी कर जाना है
आज के दिन जो पायी हमने
आज़ादी उसे कहते हैं
अपनी ज़मीं और अपना आसमाँ
अपने वतन में रहते हैं
हूँ मैं शुक्रगुज़ार
जाँ दूँ इस पर वार
जलें यहाँ पर दीप ख़ुशी के
परवाना हमें बन जाना है
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