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सत्य का सम्बल तुम्हारे पास है,
झूठ का आलम्ब लेना छोड़ दो।
नित नए आयाम बस आपके होंगे,
भय भी सामने तब कांपते होंगे।
है प्रतिभा जो आपमें फिर झुकना क्या,
तरक्की जिंदगी में तब झांकते होंगे॥
दुनिया में झूठों का भ्रम तोड़ दो,
झूठ का आलम्ब लेना छोड़ दो।
सत्य का सम्बल तुम्हारे पास है,
झूठ का आलम्ब लेना छोड़ दो।
तम जो फैला हुआ,उठो इसे काट दो,
ज्ञान का प्रकाश अपना सबमें बांट दो।
जिंदगी देगी हरदम तुम्हारा साथ,
जिंदगी में तुम सच का ही साथ दो॥
झूठी धाराओं को सच में मोड़ दो,
झूठ का आलम्ब लेना छोड़ दो।
सत्य का सम्बल तुम्हारे पास है,
झूठ का आलम्ब लेना छोड़ दो॥
#आदर्श जायसवाल
परिचय: आदर्श जायसवाल का जन्म १४ जुलाई १९९६ को प्रतापगढ़ के बिहारगंज में हुआ है। आप उत्तर प्रदेश के शहर प्रतापगढ़ में ही रहते हैं। वर्तमान में बी.ए. के छात्र होकर सामाजिक क्षेत्र में अपने समाज के मीडिया प्रभारी हैं। विधा-कविता है। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। इनके लेखन का उद्देश्य अच्छा कवि बनकर समाज को जागरुक करना है।
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