अब राज्यसभा 22 भाषाओं में

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vaidik
अब राज्यसभा के सदस्य देश की 22 भाषाओं में सदन में बोल सकेंगे। राज्यसभा के सभापति और उप-राष्ट्रपति वैंकय्या नायडू की इस पहल पर उनको बधाई ! वैंकय्याजी ने स्वयं 10 भाषाओं में अपना पहला वाक्य बोलकर इस पहल का शुभारंभ किया। यह सुविधा संसद के दोनों सदनों को एक समान मिलनी चाहिए। लोकसभा को तो और भी पहले, क्योंकि उसके सदस्य अपनी-अपनी भाषाओं में वोट मांगकर ही चुने जाते हैं। वे वोट मांगते वक्त जिस भाषा में बात करते हैं, यदि उसी भाषा में वे संसद में भी बोलें तो उनके लाखों मतदाताओं को भी पता चलेगा कि हमारा प्रतिनिधि दिल्ली में बैठकर हमारे लिए क्या कर रहा है। दूसरे शब्दों में संसद और आम जनता के बीच यह पहल एक सच्चे सेतु का काम करेगी। आजकल तो टीवी चैनलों पर संसद की सारी कार्रवाई देखी और सुनी जाती है। इसलिए इस पहल का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। यह प्रश्न हो सकता है कि कोई सांसद तमिल में बोलेगा तो देश के गैर-तमिल लोग उसे कैसे समझेंगे ? इसका जवाब यह है कि हर भाषण का हिंदी और अंग्रेजी अनुवाद भी साथ-साथ होगा। मैं तो वह दिन देखने को तरस रहा हूं जबकि न तो कोई संसद में अंग्रेजी में बोले और न ही कोई अंग्रेजी में अनुवाद हो। सभी भारतीय भाषाओं में बोलें और राष्ट्रभाषा हिंदी उनका सेतु बने। यदि सांसदों को अपनी भाषा में अपनी बात कहने की सुविधा होगी तो वे उसे बेहतर और असरदार ढंग से कह सकेंगे। संसद सिर्फ बातों की दुकान नहीं है। उसका मूल काम कानून बनाना है। अपने इस असली काम को वह हिंदी में कब शुरु करेगी ? उसने 70 साल तो अंग्रेजी की गुलामी में काट दिए और हमारे अधपढ़ नेताओं का जो हाल अभी है, उसे देखते हुए लगता है कि 700 साल भी इस गुलामी से मुक्त होने में कम पड़ेंगे। यदि संसद के मूल कानून हिंदी में बनने लगें तो भारत की न्याय-व्यवस्था में रातों-रात पंख लग जाएंगे। वह अभी घिसट रही है। तब वह उड़ने लगेगी। वह जादू-टोना नहीं रहेगी।
#डॉ. वेदप्रताप वैदिक

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।