उलझी उलझी जुल्फों को यूँ सुलझाया ना करो, पास बुलाकर तुम अपने हाय यूँ सताया ना करो l उम्मीद जाग उठती हैं मिलन की तेरे दीदार से, जगते सपनो को यूँ रोज तुम रुलाया ना करो l हैं जन्नत मेरी तेरी नजरों के समंदर के पार, मेरी कश्ती को लाकर […]
हर तरफ मचा है ये शोर कि आज है मेरा दिन, सोचा मांग लूँ कोई तोह्फा आज जो हो थोडा भिन्न, बनावटी फूलों से दुनिया क्या तुम मेरी सजा पाओगे? जन्म दिया जिसने तुमको उसको तुम क्या दे पायोगे! अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही मै माँ की कोख से, जंहा घेरे रहते हैं सौ सवाल मुझे चारों ओर से, कैसे जिन्दा रख पाऊँगी खुद […]
अब शिकवा भी क्या करे जब वो हमे भूलाने, पास आ कर वो हमारे अब दूर जाने लगे. बादल भी सिखने लगे हैं आंसूं बहाना, जब सावन की धूप भी धरती की जलाने लगे. चांदनी चंद को अब लगी हैं अब तडफाने, चांद सितारों से जब दिल बहलाने लगे. रंग होली के लगते हैं […]
तेरे आने के इंतज़ार में बिताये हमने हैं कई साल कैलंडर तो हम बदलते रहे पर मनाया न कभी नया साल गुजर गए फिर बारह महीने पर सुखा न आसुंओ का सेलाब अब सजदा भी करूँ कैसे जब तेरे इश्क में हुए हम कंगाल दिल में सहेज कर बैठे है तेरे वादों की किताब को आज भी जी रहे हम […]
माँ तू नहीं होगी तो मेरा न जाने क्या होगा, मेरे सफर की मंजिल तो होगी पर रास्ते का क्या होगा. आजमाएगी फिर दुनिया हम दोनों के प्यार को, हमारी झूठी तकरार को, तब भावना के मेरे संसार का क्या होगा. चांद भी होगा और आसमा में ये सितारे भी रहेंगे सपनो में होगा मिलना हमारा […]
आओ मीत मेरे बैठ सपने नए सजाते हैं तुम अपनी बताना मैं अपनी सुनाऊं मिलकर कहानी नयी बनाते हैं दोनों एक आज करवाचौथ मनाते हैं हर मुलाक़ात की यादों से बारात एक सजाते हैं शादी के हर बचन को फिर से दोहराते हैं तुम ही निर्जला क्यों रहो मुझे पाने के लिए […]
आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है।
आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया।
इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं।
हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।