माँ तू नहीं होगी तो मेरा न जाने क्या होगा,
मेरे सफर की मंजिल तो होगी पर रास्ते का क्या होगा.
आजमाएगी फिर दुनिया हम दोनों के प्यार को,
हमारी झूठी तकरार को, तब भावना के मेरे संसार का क्या होगा.
चांद भी होगा और आसमा में ये सितारे भी रहेंगे
सपनो में होगा मिलना हमारा पर उस मिलन का अंजाम क्या होगा
कोशिश करूँगा माँ हर माँ में तुझे पाने की
अपने दर्द को थोडा भुलाने की पर मेरे जखम के मलहम का क्या होगा
जनता हूँ मै चलना है मुझे अकेले इस भीड़ में
पायेगा “हर्ष” हर मंजिल को जब साथ मेरे तेरा आशीर्बाद होगा
माँ तू नहीं होगी तो मेरा न जाने क्या होगा
#प्रमोद कुमार “हर्ष”
मंडी हिमाचल प्रदेश