आओ मीत मेरे बैठ सपने नए सजाते हैं
तुम अपनी बताना मैं अपनी सुनाऊं
मिलकर कहानी नयी बनाते हैं
दोनों एक आज करवाचौथ मनाते हैं
हर मुलाक़ात की यादों से बारात एक सजाते हैं
शादी के हर बचन को फिर से दोहराते हैं
तुम ही निर्जला क्यों रहो मुझे पाने के लिए
दोनों इक दूजे के निर्जला रह रस्म नयी बनाते हैं”
नया आज करवाचौथ मनाते हैं
बिना चांदनी के चांद किस काम का
गर जुड़ा न हो साथ तेरा तो फायदा क्या नाम का
कदम से कदम मिलाकर सफर को मंजिल तक ले जाते है
आज करवाचौथ मनाते हैं
मिले साथ तेरा हर जन्म तो भगवान का एहसान होगा
हर बार तब ये जीवन अपना स्वर्ग के समान होगा
इसी चाह को साथ लिए दिल में
“हर्ष” चाँद को एक दूजे में पाते हैं
आज करवाचौथ मनाते हैं
#प्रमोद कुमार “हर्ष”