0
0
Read Time40 Second
अब शिकवा भी क्या करे जब वो हमे भूलाने,
पास आ कर वो हमारे अब दूर जाने लगे.
बादल भी सिखने लगे हैं आंसूं बहाना,
जब सावन की धूप भी धरती की जलाने लगे.
चांदनी चंद को अब लगी हैं अब तडफाने,
चांद सितारों से जब दिल बहलाने लगे.
रंग होली के लगते हैं अब फीके
भंवरे जब फूलों से ही वैर जताने लगे.
बुरा मान जाती हैं अक्सर ये दुनिया
जब “हर्ष” सच का आईना दिखाने लगे.
#प्रमोद कुमार “हर्ष”
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
Post Views:
458