बाबू जी नहीं रहे, यह खबर सभी रिश्ते-नातेदारों तक पहुँच खई ।  सुदूरवर्ती बेटे को टेलीफून से सूचित कर दिया गया । वह ठीक समय पर पहुँच गया ।  शाम तक  अंतिम क्रियाकर्म के लिए सभी  आ चुके थे। घर के बाहर लोगों का जमावड़ा था। महिलाओं ने बड़ी मुश्किल […]

दिल धड़कना छोड़ दिया है / जब से गए हो तुम दूर मुझसे / तब से नाम के सहारे जिन्दा हूँ / मै डर गया हूँ तेरी वफ़ादारी से // तेरे दमन पर जो रंग लगता है। दिल मेरा यहां धड़कता है। कोई कैसे तुमको, मेरे से पहले  रंग लगा […]

दोस्तो, यह पत्र मैंने उन बच्चों के लिए लिखा था जिनको मैं साकेत इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ाया करता था । जब मैं वहाँ से लौटा तो यह पत्र उनके लिए मेरी तरफ से एक भेंट भर थी पर आज यह भेंट मैं सावर्जनिक कर रहा हूँ, तो आइए पढ़ते हैं […]

प्रीत प्यार के रंग हैं देखो अनेक ढंग हैं, बतलाए कौन सखी किसको सुनाती है।1 रंग उडत गगन. सखी सहेलिन संग होरी में बतियाँ करे पिया को सुहाती है ।2 फागुन बौरान लागो मनवा हर्षान लागो तनमन में हिलोर ये होली मचाती है।3 पडत रंग फुहार भीजत अंग हमार तिरछी […]

आओ मिलके खुशियां मनाएं , अपनों को हम रंग लगाएं / होली का रंग,अपनों का संग, एक दुसरो पर, डाले हम रंग // राधा का रंग, और कान्हा की पिचकारी , प्यार के रंग से , रंग दो दुनियाँ ये सारी / ये रंग न जाने कोई, जात न कोई […]

अफरा-तफरी का दौर शुरू हो गया, आवाजाही पर संदेह शुरू है, बैण्ड बाज़ा बारात भी तैयार है, हर तरफ चुनावी शौर है, वादों की बौछार है, कोई पिछले 70 सालों के हिसाब दे रहा है तो कोई पाँच सालों की खतौनी कर रहा हैं, कोई राज्य का विकास गिना रहा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।