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तेरी फुर्कत सही  नहीं जाती, उफ मेरी  बेखुदी नहीं जाती। हो  गए  जबसे  दोस्त  पैमाने, तबसे  ये  मैकशी  नहीं जाती। तेरा  चेहरा  मैं  चाँद  में  ढूँढू, मेरी  दीवानगी  नहीं  जाती। दूर नज़रों से जबसे आप हुए, आँखों से तीरगी  नहीं जाती। क्या कहूँ हाल-ए-दिल मैं ऐ ‘पंकज’ बात सबसे कही […]

इस तरह रिश्ता निभाना चाहिए, आपको भी आना-जाना चाहिए। हम अगर मुस्का रहे हैं तो प्रभो, आपको भी मुस्कराना चाहिए। लोग ज़िंदा हैं अगर तो ठीक है, रास्ता खुद ही बनाना चाहिए। ज़िंदगी तो मुश्किलों का नाम है, फिर भी हमको गुनगुनाना चाहिए। सत्य कहने में बड़ा जोखिम मगर, वक्त […]

जन-जन से भू पर अपने  मैं प्यार कर रही  हूँ । बढ़ती ही जा रही हूँ बिन फायदे के मैं तो, हारे-थके  हर-इक का  उद्धार कर रही हूँ। करते हैं लोग गन्दा, मेरी सहन तो देखो, हर कष्ट झेलकर मैं व्यापार कर रही हूँ। भू के असुर अब मेरा उपभोग […]

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खुद को भूला हूँ तुमको पाने में, हर्ज़ क्या दिल से दिल मिलाने में। मेरे दिल की कली महक उठी, तुम जो आए गरीबखाने में । मेरे महबूब लौटकर आजा, बिन तेरे कुछ नहीं जमाने में। कट रहीं बिन तुम्हारे ये घड़ियाँ तेरी यादों के आशियाने में। है सितम क्या […]

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लहू से तर रहा बस्तर, हमें अच्छा नहीं लगता, ये छत्तीसगढ़,ये आंसूघर हमें अच्छा नहीं लगता। तुम्हारी मांग जो भी हो,उसे तुम सामने रख दो, ये हिंसा का भयानक स्वर हमें अच्छा नहीं लगता। महज निंदा नहीं,कुछ तो नतीजे सामने लाओ, हुए हालात अब बदतर,हमें अच्छा नहीं लगता। ये मेरा […]

तुम नहीं हो साथ तो, उपहार लेकर क्या करुं। रेशमी परितृप्तियों का हार लेकर क्या करुं।। प्रेम का दीपक जलाए जल रहा हूँ रात-दिन। बंधनों के रूप में अधिकार लेकर क्या करुं।। प्रेमरुपी लालिमा भरकर किसी की माँग में। मैं अमर-सौभाग्य का आधार लेकर क्या करुं।। शूल बनकर फूल भी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।