इस तरह रिश्ता निभाना चाहिए,
आपको भी आना-जाना चाहिए।
हम अगर मुस्का रहे हैं तो प्रभो,
आपको भी मुस्कराना चाहिए।
लोग ज़िंदा हैं अगर तो ठीक है,
रास्ता खुद ही बनाना चाहिए।
ज़िंदगी तो मुश्किलों का नाम है,
फिर भी हमको गुनगुनाना चाहिए।
सत्य कहने में बड़ा जोखिम मगर,
वक्त पड़ने पर उठाना चाहिए।
गिर गया कोई तो हँसना पाप है,
उसको तो फ़ौरन उठाना चाहिए।
बाँध लो यह गाँठ ‘पंकज’ ठीक से,
बात अपनों की छिपाना चाहिए।
#गिरीश पंकज
परिचय : साहित्य और पत्रकारिता की दुनिया में गत चार दशकों से सक्रिय रायपुर(छत्तीसगढ़) निवासी गिरीश पंकज के अब तक सात उपन्यास, पंद्रह व्यंग्य संग्रह सहित विभिन्न विधाओं में कुल पचपन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके चर्चित उपन्यासों में ‘मिठलबरा की आत्मकथा’, माफिया’, पॉलीवुड की अप्सरा’, एक गाय की आत्मकथा’, ‘मीडियाय नमः’, ‘टाउनहाल में नक्सली’ शामिल है। इसी वर्ष उनका नया राजनीतिक व्यंग्य उपन्यास ‘स्टिंग आपरेशन’ प्रकाशित हुआ है..उनका उपन्यास ”एक गाय की आत्मकथा’ बेहद चर्चित हुआ, जिसकी अब तक हजारों प्रतियां प्रकाशित हो चुकी हैं. लगभग पन्द्र देशो की यात्रा करने वाले और अनेक सम्मानों से विभूषित गिरीश पंकज अनेक अख़बारों में सम्पादक रह चुके हैं और अब स्वतंत्र लेखन के साथ साहित्यिक अनुवाद की पत्रिका ”सद्भावना दर्पण ‘ का प्रकाशन सम्पादन कर रहे हैं।