हमें अच्छा नहीं लगता

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girish
लहू से तर रहा बस्तर, हमें अच्छा नहीं लगता,
ये छत्तीसगढ़,ये आंसूघर हमें अच्छा नहीं लगता।

तुम्हारी मांग जो भी हो,उसे तुम सामने रख दो,
ये हिंसा का भयानक स्वर हमें अच्छा नहीं लगता।

महज निंदा नहीं,कुछ तो नतीजे सामने लाओ,
हुए हालात अब बदतर,हमें अच्छा नहीं लगता।

ये मेरा देश गांधी का,अमन की मांग करता है,
कहीं गोली,कहीं पत्थर हमें अच्छा नहीं लगता।

अगर है प्यार की बोली, तो गोली क्यों चले ‘पंकज’,
बहे आंसू यहां झर-झर, हमें अच्छा नहीं लगता।

                                                                            #गिरीश पंकज

परिचय : साहित्य और पत्रकारिता की दुनिया में गत चार दशकों से सक्रिय रायपुर(छत्तीसगढ़) निवासी गिरीश पंकज के अब तक सात उपन्यास, पंद्रह व्यंग्य संग्रह सहित विभिन्न विधाओं में  कुल पचपन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।  उनके चर्चित उपन्यासों में ‘मिठलबरा की आत्मकथा’, माफिया’, पॉलीवुड की अप्सरा’, एक गाय की आत्मकथा’, ‘मीडियाय  नमः’, ‘टाउनहाल में नक्सली’  शामिल है।  इसी वर्ष उनका नया राजनीतिक व्यंग्य उपन्यास ‘स्टिंग आपरेशन’  प्रकाशित हुआ है..उनका उपन्यास ”एक गाय की आत्मकथा’ बेहद चर्चित हुआ, जिसकी अब तक हजारों प्रतियां प्रकाशित हो चुकी हैं. लगभग पन्द्र देशो की यात्रा करने वाले और अनेक सम्मानों से विभूषित गिरीश पंकज  अनेक अख़बारों में सम्पादक रह चुके हैं और अब स्वतंत्र लेखन के साथ साहित्यिक अनुवाद की पत्रिका ”सद्भावना दर्पण ‘ का प्रकाशन सम्पादन कर रहे हैं। 

matruadmin

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2 thoughts on “हमें अच्छा नहीं लगता

  1. बेहद उम्दा अभिव्यक्ति सुप्रभात .

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