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तेरी फुर्कत सही नहीं जाती,
उफ मेरी बेखुदी नहीं जाती।
हो गए जबसे दोस्त पैमाने,
तबसे ये मैकशी नहीं जाती।
तेरा चेहरा मैं चाँद में ढूँढू,
मेरी दीवानगी नहीं जाती।
दूर नज़रों से जबसे आप हुए,
आँखों से तीरगी नहीं जाती।
क्या कहूँ हाल-ए-दिल मैं ऐ ‘पंकज’
बात सबसे कही नहीं जाती॥
#पंकज सिद्धार्थ
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Thanks to the excellent manual