बहुत हुआ माजरा गम का, रातों की नींद गई आसमां पर दिन का आस खोता नजर, मनुष्य लुप्त होते नजर खुश तो है नहीं तू, फिर आतंक बन्द कर।          जर्जर मत कर ये धरती, कल तेरा भी खाक होगा आज जीत का जश्न कर, कल तेरा भी बर्बाद होगा […]

उसने घर पर बात की ,माँ-बाप और छोटी बहन की शुभकामनाएं ली, फिर जल्दी में फोन रख दिया। फिर जल्दी जल्दी एक नम्बर डायल किया,जैसे इस नम्बर से मिलने वाली शुभकामना उसकी सफलता की ग्यारंटी हो। दो घण्टी बजी और फिर उधर से आवाज आई -‘गु$$ड मॉ$रनिंग, क्या हो गया […]

पिया के नाम को अपने हथेली में रचाती है, पिया को हर घड़ी अपने हृदय में वो बसाती है। सुना है प्यार से जिसके सजन जी प्यार हैं करते, उसी  के हाथ  में हिना भी अपना  रंग लाती है। अजब-सी एक हलचल फिर हमारी साँस में उठती, बुलाकर  पास वो […]

कुछ अस्त-व्यस्त-सी है नज़र आती है ज़िन्दगी, कभी समेटने लगो तो और उलझ जाती है ज़िन्दगी। कभी खामोश रहकर सब सहकर घुटन हो जाए; बिंदास जिएं, न पल-पल मरें समझाती है ज़िन्दगी। मुसाफिर-सा मन कभी बंधना चाहे इसमें मर्ज़ी से; कभी ख्बाबों के पँख लगा हमें लुभाती है ज़िन्दगी।   […]

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कुछ समय तो रहो मेरे तुम स्वप्न में, कुछ समय मेरे नयनों को आराम हो। कैसे बतलाएं तुमको पुरानी कथा, बात सबकी ही झूठी-सी इक शान है। उनको जाना था लंका तो ये कर दिया, राह पत्थर बिछाते ये हनुमान हैं। रास्ते को तुम्हारे सुगंधित करुं, फिर तुम्हारी वो मंजिल […]

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जब से नशामुक्ति अभियान से जुड़ी, तब से ही काशीबाई को जानती हूँ। तीन बच्चे और शराबी पति, जो हर रोज़ अपनी तो अपनी,काशीबाई की मज़दूरी के पैसे भी ज़हर में डुबो देता। काशीबाई कभी केवल रोटी, कभी नमक-चावल खाकर तो कभी भूखी रहकर अपने दिन काट रही थी। आज […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।