‘ठीक से बेलो’! ‘अरे पलेथन बार-बार क्यों लगा रही हो!` ‘कितने साल हो गए,बराबर रोटी बेलना नहीं आया!` `कैसे बेलती हो? बीच में पतला-किनारे मोटा? गोल-गोल घुमाओ रोटी को!` ‘बराबर डालो तवे पर,अरे देखो मुड़ गया न..अब फूलेगा नहीं। १मिनट बाद ही कड़ा हो जाएगा!` ‘ठीक से सेंको! चिमटा साइड […]

माँ  की आंखों  का तारा। परिवार   में  राजदुलारा॥ भाई-बहन के मन को भाते। साथी भी बिन इनके रह न पाते॥ रहते साथ सदा इनके हर बार। ऐसे हैं हमारे गुरु पवन कुमार॥ छात्र जीवन से क्रांतिकारी। धीर, वीर  और  सदाचारी॥ गुरुओं  के जो प्रिय कहलाए। जुल्मों के खिलाफ आवाज उठाए॥ […]

समीक्षा…… यह बहुसितारा फ़िल्म शुरु होती है १९७३ के परिदृश्य में,जहां राजस्थान की राजकुमारी गीतांजलि (इलियाना), और उनकी एक राजनेता संजय से बिल्कुल बनती है। देश में आपातकाल लागू होता है,और महारानी से खुन्नस के चलते उनके महल के खजाने को सरकार के हाथों निकलवाने की योजना अमल में लाई जाती […]

मैंने देखी ही नहीं, रंगों से रंगी दुनिया कोl मेरी आँखें ही नहीं, ख्वाबों के रंग सजाने को| कौन आएगा,आँखों में समाएगा, रंगों के रूप को जब दिखाएगा रंगों पे इठलाने वालों, डगर मुझे दिखाओ जरा चल संकू मैं भी अपने पग से, रोशनी मुझे दिलाओ जरा ये हकीकत है […]

  हंसना भी सीखा, रोना भी सीखा। सीखा है पाना भी, सीखा है खोना भी।   अपनों को खोया है, सपनों को खोया है। लेकिन जीतने की जिद, न मुझे झुका सकी न मुझे डिगा सकी।   मैं भी बढ़ता गया, कारवां बनता गया। लोग अपने बने, कुछ पराए हुए। […]

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शालू के दिल में विराट के लिए अथाह प्रेम था, इसलिए शायद विराट के साथ उसने न जाने क्या-क्या सपने देख लिए? किन्तु जब अंधप्रेम का भूत उतरा,तब तक बहुत देर हो चुकी थी। आज वह अपनी की गई गलती के लिए बेहद शर्मिंदा थी। आज उसकी अाँखों से आँसू […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।