बहुत हुआ माजरा गम का,
रातों की नींद गई आसमां पर
दिन का आस खोता नजर,
मनुष्य लुप्त होते नजर
खुश तो है नहीं तू,
फिर आतंक बन्द कर।
जर्जर मत कर ये धरती,
कल तेरा भी खाक होगा
आज जीत का जश्न कर,
कल तेरा भी बर्बाद होगा
सोच तेरा भी घर है,
उनके ऊपर भी बीतेगा कल।
पनप रहा कीड़े की तरह,
अंदर से पूरा खा गया
अब तो बंद कर,
रोड पर दंगा मत कर
मनुष्य को चीर मत,
आतंक का खेल बन्द कर।
शिक्षा पर ग़ौर कर,
अब और मत कुचल
दमन अब खत्म कर,
देश का भविष्य बख्श दे
ख़ुशी से राज कर,
अब आतंक का खेल बन्द कर।
डूब रहे अब सब,
इश्क़ बेशुमार है
अब ख़ुश रहेगा,
तू भी गोता लगा
आजा साथ चलें,
आतंक बन्द करll
#अमित चन्द्रवंशी ‘सुपा’
परिचय:अमित चन्द्रवंशी ‘सुपा’ नाम से लिखते हैं। १८ वर्ष उम्र और अभी विद्यार्थी ही हैं। आपका निवास छत्तीसगढ़ के रामनगर(कवर्धा) में है।कविता,कहानी,गीत,गजल और निबन्ध आदि भी लिखते हैं।