वही फिर हमें याद आने लगे हैं, जिन्हें भूलने में जमाने लगे हैं। न जाने उन्हें है हुआ आजकल क्या, मुझे देखकर मुस्कुराने लगे हैं। भले है नहीं आज औकात इतनी, मगर बाेझ हद तक उठाने लगे हैं। मुझे मार डालाे, मेरा कत्ल कर दाे, कि हम हर कहीं सर […]
(रस-श्रृंगार रस (वियोग श्रृंगार),वियोग श्रृंगार का पहला प्रकार-पूर्वराग,आलंबना -कृष्ण,उद्दीपन-एकांत,ऋतु,अनुभाव- निष्प्राण और संचारी भाव-जड़ता है) विरह हृदय पर नयन पसारो॥ श्यामल अंबर वृंदावन है,आओ कुंज विहारो। कंचन तन अरु मन मधुवन है,आकर मोहिं निहारो, सकल जगत निष्प्राण हुआ ज्यों,उर जड़ता को हारो। राधा हूँ, पिय अंतर्मन की, इव दुख बोझ उतारो। […]