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नहीं भरोसा कर सकते,
तो कोई क्या कर सकता है।
राम भक्त-सा हृदय चीरकर,
बस असमय मर सकता है॥
जब अपने दिल-दर्पण को,
हम साफ नहीं रख पाएंगे।
इम्तहान जीवन भर देगा,
किन्तु नहीं तर सकता है॥
#अवधेश कुमार ‘अवध’
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