अंधभक्त बनाम अंधविरोधी

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anupam tivari
यह तो सर्वविदित है कि,पिछली सरकार के १० वर्ष तक हमारे प्रधानमंत्री रोबोट थे। उन्हें रिमोट द्वारा संचालित किया जाता था, लेकिन इस सरकार के गठन से पहले ही वर्तमान प्रधानमंत्री ने लोगों की आस जगाई थी,जिसके फलस्वरूप मोदी जी को प्रचण्ड बहुमत मिल। इसके कारण आधुनिक समर्थक ‘अंधभक्त’ और अंतविरोध की प्रवृत्तियां उत्पन्न हुई।आजकल सोशल मीडिया पर सिर्फ दो प्रकार के ही लोग दिखाई पड़ रहे हैं- अंधभक्त या फिर अंधविरोधी। दोनों ही प्रजातियां बहुत बीमार हैं,और इनका तर्क से कोई वास्ता नहीं है। इन्हें बस अपनी बात कहनी है,चाहे जैसे कहें। अगर आप इनकी बात से सहमत नहीं होते हैं,तो यह लोग आपको किन-किन उपाधियों से संबोधित करेंगे,आप सोच भी नहीं सकते हैं। कोई आपको दलाल तो कोई राष्ट्रविरोधी भी कह सकता है।
ऐसे में समर्थक और आलोचक गायब हो गए हैं। किसी फिल्म में कही गई बात ‘१००० में से ९९ बेईमान, फिर भी मेरा देश महान’ सच साबित हो रही है। अगर सरकार की आलोचना करो तो भक्त कहते हैं पिछले ७० सालों में कहां थे। जो समस्याएं ७० वर्षों में उत्पन्न हुई,पली-बढ़ी हैं,उन्हें 3 वर्ष में कैसे समाप्त किया जा सकता है। फिर वह कहते हैं कि,पिछली सरकार ने ऐसा किया था,तब तो कुछ नहीं बोले। अरे भाइयों, यह सरकार तो बनी ही इस आधार पर थी कि जो उन्होंने किया,वह हम नहीं करेंगे और जो उन्होंने नहीं किया, वह हम करेंगे।
यह तो हुई अंधभक्तों की बात,आइए अब मिलते हैं अंधविरोधियों से। इनमें और भक्तों में बहुत विशेष अंतर नहीं होता है।जहां भक्त सरकार की आलोचना करने पर चिढ़ते हैं,वहीं इस प्रजाति वाले सरकार के किसी उम्दा कार्य का समर्थन करने पर चिढ़ जाते हैं। जैसे ही सरकार ने कोई अच्छा काम किया और उस काम की प्रशंसा होनी प्रारंभ हुई,ये लोग उस काम का विरोध करना प्रारंभ कर देते हैं। इसका एक अतुलनीय उदाहरण हम लोग ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ के बाद छिड़ी बहस के रूप में देख चुके हैं। इन्हें इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता है कि,इनकी बहस से देश का हित होगा या अहित। इसकी बानगी किसी भी टेलीविजन समाचार चैनल पर हो रहे  वाद-विवाद कार्यक्रम में देखी जा सकती है।
                                                          #अनुपम तिवारी ‘मन्टू’ 
परिचय:सामाजिक कार्यकर्ता वाली पहचान  अनुपम तिवारी ‘मन्टू’ ने बनाई हैl इनकी शिक्षा बी.कॉम. हैl उत्तरप्रदेश के देवरिया जिला के भठवां तिवारी गांव के निवासी हैंl यह शौकिया लेखन करते हुए जब भी समय मिलता है तो कुछ प्रेरक और निष्पक्ष लिखने की कोशिश करते हैं ताकि,युवा साथियों को सही-गलत का निर्णय करने में सहयोग मिल सकेl 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।