ग़ज़ल

0 0
Read Time2 Minute, 15 Second

kp sinh

वही फिर हमें याद आने लगे हैं,
जिन्हें भूलने में जमाने लगे हैं।

न जाने उन्हें है हुआ आजकल क्या,
मुझे देखकर मुस्कुराने लगे हैं।

भले है नहीं आज औकात इतनी,
मगर बाेझ हद तक उठाने लगे हैं।

मुझे मार डालाे, मेरा कत्ल कर दाे,
कि हम हर कहीं सर झुकाने लगे हैं।

सितारे उन्हें दिख गए क्या तभी से,
नज़ाकत बहुत ही दिखाने लगे हैं।

अदालत उन्हीं की,वहां जज उन्हीं के,
सजा राेज ही वाे सुनाने लगे हैं॥

                                                                     #के.पी.सिंह

परिचय: के.पी.सिंह (कौशलेंद्रप्रताप सिंह)का लेखन क्षेत्र में साहित्यिक उपनाम-‘विकल बहराइची’ है। आपकी जन्मतिथि-१ सितम्बर १९६९ तथा जन्म स्थान-पयागपुर (बहराइच,उ.प्र.)है। एम.ए. और बीएड शिक्षित श्री सिंह का कार्यक्षेत्र-गाे.ब.पंत कृषि एवं प्राैद्याेगिक विश्वविद्यालय (पंत नगर,उत्तराखंड) है। स्थाई पयागपुर और वर्तमान निवास शहर पंतनगर (उधमसिंह नगर) विश्वविद्यालय परिसर है।सामाजिक-साहित्यिक गतिविधि में आप राष्ट्रीय कवि संगम की जिम्मेदारी सम्भालते हैं। लेखन में आपकी विधा- दाेहा,छंद,ग़ज़ल एवं गीत है।आपको लेखनी की बदौलत काव्य श्री सम्मान,काव्य गाैरव सम्मान,राकेश साहित्य सम्मान और दिग्गज मुरादाबादी सम्मान आदि हासिल हुए हैं।रेडियाे पर(90.8 मेगा)भी आप कार्यक्रम का संचालन एवं लगभग २०० काव्य पाठ कर चुके हैं,तो लगभग ३०० कवि सम्मेलन-मुशायराें में भी काव्य पाठ किया है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान काे बढ़ाना एवं जनजागृति के साथ राष्ट्रीय चेतना की जागृति करना है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

कारवां न चले मेरे संग में तो क्या

Sat Oct 7 , 2017
कारवां न चले मेरे संग में तो क्या, राह मेरी अकेले भी कट जाएगी। पग में हैं भरे मेरे काँटें तो क्या, चुन के उनको हटाना है आता मुझे। ज़ख़्म सहकर मैं मुस्कुराता सदा, दर्द जीना हमेशा सिखाता मुझे॥ देखकर मुश्किलें जो सहम जाऊँ मैं, आ के नाकामी मुझसे लिपट […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।