वही फिर हमें याद आने लगे हैं,
जिन्हें भूलने में जमाने लगे हैं।
न जाने उन्हें है हुआ आजकल क्या,
मुझे देखकर मुस्कुराने लगे हैं।
भले है नहीं आज औकात इतनी,
मगर बाेझ हद तक उठाने लगे हैं।
मुझे मार डालाे, मेरा कत्ल कर दाे,
कि हम हर कहीं सर झुकाने लगे हैं।
सितारे उन्हें दिख गए क्या तभी से,
नज़ाकत बहुत ही दिखाने लगे हैं।
अदालत उन्हीं की,वहां जज उन्हीं के,
सजा राेज ही वाे सुनाने लगे हैं॥
#के.पी.सिंह
परिचय: के.पी.सिंह (कौशलेंद्रप्रताप सिंह)का लेखन क्षेत्र में साहित्यिक उपनाम-‘विकल बहराइची’ है। आपकी जन्मतिथि-१ सितम्बर १९६९ तथा जन्म स्थान-पयागपुर (बहराइच,उ.प्र.)है। एम.ए. और बीएड शिक्षित श्री सिंह का कार्यक्षेत्र-गाे.ब.पंत कृषि एवं प्राैद्याेगिक विश्वविद्यालय (पंत नगर,उत्तराखंड) है। स्थाई पयागपुर और वर्तमान निवास शहर पंतनगर (उधमसिंह नगर) विश्वविद्यालय परिसर है।सामाजिक-साहित्यिक गतिविधि में आप राष्ट्रीय कवि संगम की जिम्मेदारी सम्भालते हैं। लेखन में आपकी विधा- दाेहा,छंद,ग़ज़ल एवं गीत है।आपको लेखनी की बदौलत काव्य श्री सम्मान,काव्य गाैरव सम्मान,राकेश साहित्य सम्मान और दिग्गज मुरादाबादी सम्मान आदि हासिल हुए हैं।रेडियाे पर(90.8 मेगा)भी आप कार्यक्रम का संचालन एवं लगभग २०० काव्य पाठ कर चुके हैं,तो लगभग ३०० कवि सम्मेलन-मुशायराें में भी काव्य पाठ किया है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान काे बढ़ाना एवं जनजागृति के साथ राष्ट्रीय चेतना की जागृति करना है।