हे मां, तेरी है शान निराली, आभा अदभुत चमकत न्यारी। तेरे सारे पेड़ ये झूमें, हवा के शीतल झोंकों से मन भी कंपित-सा होकर, भरता पंछी बन उडारी। हे मां, तेरी है शान निराली, आभा अदभुत चमकत न्यारी। स्पर्श अदृश्य कोमल सुगंधमय, हवा में सारंगी के तार की लय झूम […]