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राष्ट्रभक्ति निज शक्ति मन में पसार करें,
कोटि-कोटि जन का उद्धार होना चाहिए।
राम नहीं दिखें अब रावण हैं चहुँ ओर,
दुष्ट जन का अब संहार होना चाहिए।
प्राण प्रण से जुटे जो देश सेवा राह पर,
उन्हें सत्कार औ उपहार होना चाहिए।
शर्मसार मानव है,बेलगाम दानव है,
दानवी चलन प्रतिकार होना चाहिए।
युवा जन प्रचंड हों,राष्ट्र निज अखंड हो,
दुश्मन पे वार घमासान होना चाहिए।
मुंड खंड-खंड करो,रूप भी प्रचंड धरो,
काल महाकाल का आह्वान होना चाहिए।
धूल भी चटा दो अब,शत्रु को मिटा दो अब,
सिंह की संतान हो ये ज्ञान होना चाहिए।
मार काट करो,वार रौद्र रूप हो अपार,
वीर शिवा वंशज हो,भान होना चाहिए॥
#प्रदीपमणि तिवारी ‘ध्रुवभोपाली’
परिचय: भोपाल निवासी प्रदीपमणि तिवारी लेखन क्षेत्र में ‘ध्रुवभोपाली’ के नाम से पहचाने जाते हैं। वैसे आप मूल निवासी-चुरहट(जिला सीधी,म.प्र.) के हैं,पर वर्तमान में कोलार सिंचाई कालोनी,लिंक रोड क्र.3 पर बसे हुए हैं।आपकी शिक्षा कला स्नातक है तथा आजीविका के तौर पर मध्यप्रदेश राज्य मंत्रालय(सचिवालय) में कार्यरत हैं। गद्य व पद्य में समान अधिकार से लेखन दक्षता है तो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित होते हैं। साथ ही आकाशवाणी/दूरदर्शन के अनुबंधित कलाकार हैं,तथा रचनाओं का नियमित प्रसारण होता है। अब तक चार पुस्तकें जयपुर से प्रकाशित(आदिवासी सभ्यता पर एक,बाल साहित्य/(अध्ययन व परीक्षा पर तीन) हो गई है। यात्रा एवं सम्मान देखें तो,अनेक साहित्यिक यात्रा देश भर में की हैं।विभिन्न अंतरराज्यीय संस्थाओं ने आपको सम्मानित किया है। इसके अतिरिक्त इंडो नेपाल साहित्यकार सम्मेलन खटीमा में भागीदारी,दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में भी भागीदारी की है। आप मध्यप्रदेश में कई साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।साहित्य-कला के लिए अनेक संस्थाओं द्वारा अभिनंदन किया गया है।
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