न सोना न चांदी,न हीरे जवाहारात, मां के आगे किसी की क्या बिसात। जिगर में छुपाए शबनमी माहताब, शाख़ों को देती मंजिलें आफताब। देखा है मां को पल-पल बड़ा होते, बचपन से अपने दायित्व निभाते। आज बिस्तर पे लेटे-लेटे ताक रही, जिंदगी का फ़लसफ़ा सिखा रही। आंखों से शबनम गुमशुदा […]