तिरंगे की महिमा 

0 0
Read Time2 Minute, 17 Second
rikhabchand
बाईस जुलाई उन्नीस सौ सैंतालिस काे,
ऐतिहासिक मंगलमय शुभ दिन आया।
संविधान सभा ने तिरंगे को अपनाया,
यही भारत का राष्ट्रीय ध्वज कहलाया॥
तीन रंगों का तिरंगा ध्वज बनाकर,
बीच बनाया प्यारा नीला अशोक चक्र।
लाल किले पर तिरंगा ध्वज फहराकर,
आजाद हुआ प्यारा भारत देश हमारा॥
केसरिया रंग प्यारी केसर बिखराता,
त्याग और बलिदान की  प्रेरणा देता।
देश के वीर शहीदों की याद दिलाता,
कर्त्तव्य पथ पर हरदम अग्रसर करता॥
सफ़ेद रंग शांति का अग्रदूत कहलाता,
सत्य और शांति का मार्ग दिखलाता।
अशोक चक्र धर्म चक्र भी कहलाता,
चक्र हमें चौबीस घण्टे आगे बढ़ाता॥
हरा रंग समृद्धि और खुशहाली लाता,
श्रद्धा और शौर्य का प्रतीक कहलाता।
भारत की धरती पर हरियाली लाता,
मेहनत से भारतीय ‘जन उन्नति’ पाता॥
तिरंगा भारत देश की शान कहलाता,
वीरों की आन,बान व शान कहलाता।
‘रिखब’ ‘जन गण मन’ का गाना गाता,
शांति, प्रेम व अहिंसा का पाठ पढ़ाता॥

                                            #रिखबचन्द राँका

परिचय: रिखबचन्द राँका का निवास जयपुर में हरी नगर स्थित न्यू सांगानेर मार्ग पर हैl आप लेखन में कल्पेश` उपनाम लगाते हैंl आपकी जन्मतिथि-१९ सितम्बर १९६९ तथा जन्म स्थान-अजमेर(राजस्थान) हैl एम.ए.(संस्कृत) और बी.एड.(हिन्दी,संस्कृत) तक शिक्षित श्री रांका पेशे से निजी स्कूल (जयपुर) में अध्यापक हैंl आपकी कुछ कविताओं का प्रकाशन हुआ हैl धार्मिक गीत व स्काउट गाइड गीत लेखन भी करते हैंl आपके लेखन का उद्देश्य-रुचि और हिन्दी को बढ़ावा देना हैl  

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

कई मुख

Wed Dec 20 , 2017
गगन को छूने वाले भाव सारी मंडियों के हैं, कहीं से बूंद भर जल को खुले मुख सीपियों के हैं। हमेशा टूट जाते हैं जरा-सा दाब पड़ते ही, यहां जितने भी एलबम हैं सभी बस दफ्तियों के हैं। स्वयं अपनी ही बातों से मुकर जाता है कोई भी, कहूं क्या […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।