सांपों की दुनिया में लोग सांप पाल रहे हैं। सभी चाहते हैं सांप मिले,कुछ चाहते हैं सांप बन जाएं। सांप होना और सांप पालना एक जैसा ही है। पहले लोग आस्तीन में सांप रखते थे,अब घर-मुहल्ले,शहर,नगर और सभी जगह…। आप सांप हो या न हो,लेकिन आप चाहेंगे कि सांप को वश में करने का मंत्र आपके पास हो। आपके पास सांप वश में करने का हुनर है तो असली-नकली सभी सांप आपके सामने गुगली (कुंडली) मारकर बैठ जाएंगे। सांप की चर्चा हो और आस्तीन के सांप या प्रेमचंद की कहानी मंत्र के सांप का जिक्र न हो,यह कैसे संभव है। सांप को वश में करने के लिए सपेरे के पास नहीं जाना है। सपेरे साहित्य में बहुतायत से हैं। साहित्य में फुंफकारने के लिए कुछ विख्यात है। साहित्य में सांप और अजगर में अंतर करना मुश्किल होता है। साहित्य में सांप नृत्य मशहूर है,पुलिस में नागिन डांस। राजनीति में सांपों की चर्चा नहीं होती। साहित्य और राजनीति में इच्छाधारी सांप आसानी से पाए जाते हैं। ये इच्छाधारी सांप अकेले नहीं पाए जाते हैं,अब झुंड के रूप में पाए जाते हैं। साहित्य के सांप हो या कोई अन्य सांप,इनको वश में करने के लिए सपेरा प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है। वैसे जो सांप है, उन्हें प्रशिक्षण की जरूरत नहीं है,जो नहीं हैं वे `गूगल` से प्रशिक्षण ले सकते हैं।
गूगल,एक गुगली है। हर गुगली को समझने के लिए गूगल जरूरी है। गूगल ही बताएगा कि,किस सांप को कैसे वश में किया जाए। मैं गूगल में भविष्य देख रहा था-बड़ा अंधकारमय बताया। आसपास जितने बैठे थे,पहले उन सबको सांप बता दिया। लिखा था-`इनसे सावधान रहो।` उस समय एक साहित्यिक संगोष्ठी में बैठा था। मुझे लगा अगर ये सभी सांप हैं तो मैं क्या हूं? आगे लिखा था-`राहु की दशा अच्छी और शनि की दशा खराब चल रही है। शनि पर महिला छाया प्रकोप है,राहु पर जातिवाद का प्रकोप चल रहा है। तुम्हारे अशुभ ग्रह में दोनों समान रूप से बैठे हैं।`
-मेरा भविष्य अंधकारमय है,लेकिन मुझे सांप को वश में करने का तरीका बताओ,यह प्रश्न गूगल में चेप दियाl जवाब था-सांप बन जाओ।
यह कैसे संभव है-दूसरा जवाब था,पास वाले से पूछ लो,वह कैसे सांप बना।
एक बार पूछ लिया-कैसे करोड़पति बना जाए-जवाब था,पिसी काली मिर्च लो और पत्नी की नाक में डाल दो। दूसरा प्रश्न था-घर शांति का उपाय बताओ-जवाब था-पत्नी के नहाने के पानी में बर्फ डाल दो। बच्चों की शिक्षा के बारे में पूछा तो बताया-स्कूल से निकाल लो। गोरा होने के लिए क्या करूं-कोयले की खदान में काम करो। इसी तरह के दो-चार गूगल से सवाल किए और उसके बताए अनुसार उनको अपनाया। हालत यह है कि,घर में गूगल खोलते ही सोचते हैं घर का तापमान कुल्लू-मनाली की तरह ठंडा होगा,लेकिन वह चुरू की तरह गरम हो जाता है।
गूगल-भविष्य और सलाह से बचें,गूगल के उपाय जिन्दगी दे सकते हैं तो,ले भी सकते हैं…।
राही'
परिचय : सुनील जैन `राही` का जन्म स्थान पाढ़म (जिला-मैनपुरी,फिरोजाबाद ) है| आप हिन्दी,मराठी,गुजराती (कार्यसाधक ज्ञान) भाषा जानते हैंl आपने बी.कामॅ. की शिक्षा मध्यप्रदेश के खरगोन से तथा एम.ए.(हिन्दी)मुंबई विश्वविद्यालय) से करने के साथ ही बीटीसी भी किया हैl पालम गांव(नई दिल्ली) निवासी श्री जैन के प्रकाशन देखें तो,व्यंग्य संग्रह-झम्मन सरकार,व्यंग्य चालीसा सहित सम्पादन भी आपके नाम हैl कुछ रचनाएं अभी प्रकाशन में हैं तो कई दैनिक समाचार पत्रों में आपकी लेखनी का प्रकाशन होने के साथ ही आकाशवाणी(मुंबई-दिल्ली)से कविताओं का सीधा और दूरदर्शन से भी कविताओं का प्रसारण हुआ हैl आपने बाबा साहेब आंबेडकर के मराठी भाषणों का हिन्दी अनुवाद भी किया हैl मराठी के दो धारावाहिकों सहित 12 आलेखों का अनुवाद भी कर चुके हैंl रेडियो सहित विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में 45 से अधिक पुस्तकों की समीक्षाएं प्रसारित-प्रकाशित हो चुकी हैं। आप मुंबई विश्वद्यालय में नामी रचनाओं पर पर्चा पठन भी कर चुके हैंl कई अखबार में नियमित व्यंग्य लेखन जारी हैl