इस दुनिया में आए हैं हम, इसका भी कोई कारण होगा। इस दुनिया को तारने वाला, कोई तो एक तारण होगा॥ प्रतिभाएँ सभी में होती, हर जीव व जन्तु में। बिच्छू में क्यों डंक है पैनी, इसका भी कोई कारण होगा ? सुख-दुख जीवन के दो सत्य, एक आता,एक जाता […]
बैठे-बैठे राम श्री माता जानकी के साथ, गपशप बातों में कुछ यूं बतियाय रहे। बात-बात में ही जो प्रभु हिचकाय दिए, माता जी ने पूछा-प्रभु किसे याद आय रहे। प्रभु जी ने बोला-नई नहीं कोई बात यहाँ, आ गया चुनाव सभी जुमले लड़ाय रहे वोट बैंक बन गया नाम मेरा […]
जानकर तेरा पता खुद लापता हूँ आजकल, स्वप्न आँखों में बहुत,सो जागता हूँ आजकल। लाख मंजिल पा के भी फिर लौट घर ही आना है, पीछे रह जाने के डर से भागता हूँ आजकल। मंदिरों-न मस्जिदों से अर्थ है आवाम का, बेचना अखबार है,दंगे छापता हूँ आजकल। मिलन-फागुन-चूड़ी-कंगन पर सभी […]
अब दिसम्बर भी जाने लगा है, गीत विरह के गाने लगा है। सहेजा था इसको मैंने दिल में, पर ये मीत दूजा बनाने लगा है। कोई शिकवा नहीं इससे मुझको, रीत दुनिया की है ये पुरानी। है मुसाफिर इनसान जग का, जिंदगी है यहां आनी-जानी। प्यार,उल्फत सभी अच्छे लफ्ज हैं, […]
अगर सैलाब उतरा तो किनारा हम भी देखेंगें, तुम्हारे हुस्न का दिलकश नज़ारा हम भी देखेंगें। हटा दो ज़ुल्फ की काली घटा को अपने चेहरे से, चमकती चाँदनी,रौशन सितारा हम भी देखेंगें। जिसे कल तक तुम्हारी चाहतों का ही सहारा था, उसे कैसे किया है बे-सहारा,हम भी देखेंगें। सुना है […]
तेरे प्रेमी भक्त हैं,कान्हा!कई करोड़। सबके मन से किस तरह,करते हो गठजोड़? मधुबन्ती ब्रजभूमि में,कान्हा मधु का धाम। मधुमय वंशी स्वर सरस,मधुमय राधा नाम॥ रुदन देती कभी,देती हँसी ललाम। कान्हा!तेरी बाँसुरी,गूंज रही अविराम॥ छोड़ गए ब्रज में रुदन,पीड़ा,व्यथा अनंत। कहो द्वारिकाधीश! कब,होगा इनका अंत ?॥ […]
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए।
आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं।
कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।