चलता रहा, बड़ा हो गया अपने पैरों पर, खड़ा हो गया। शहर दर शहर, घूमता रहा अनुभवों को लिए, चढ़ता रहा। दुनिया भर में, बढ़ता गया शिखर कई, चढ़ता गया। सफलताएं, चरण चूमती रहीं नाम से, आकाश पट गया। कहीं भरोसा, नहीं होता कुछ कमी-सी, लगती है। आँख के कोरों […]

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जीने की कोशिश करता इंसान, मगर कहाँ वह जी पाता.. पेड़ से गिरी सूखी पत्तियों को पता है हमारा अतीतl तब, किसी की दबी-दबी सिसकियां मद्धम-मद्धम-सी चीखें.. कानों में पड़ती थीं तो दिल मोम की तरह पिघल जाता था, और आत्मा की खुशबू एक सपना बुनकर ढँक देती थी बहकी […]

कभी हमारी मोहब्बत की कहानी पढ़े ये जमाना, जिसमें पाक मोहब्बत का हो खजाना। आओ दें इस दुनिया को प्रेम का, अनोखा नजराना, कुछ ऐसा हो तेरा-मेरा इश्क सूफियाना। जिसे पाकर दुनिया की रुह पावन हो जाए, हमारे प्रेम की पावन कहानी लिखे ये जमाना। ये दुनिया राधा-कृष्ण के प्रेम […]

(गुरुदेव श्री विद्यासागर महाराज को समर्पित) एक संत विरला, जग के कल्याण को निकला। धर्ममय राष्ट्र को परिभाषित किया, राष्ट्र में धर्म को समाहित किया। जिनका धर्म राष्ट्र है, जो श्रमण सम्राट है। एक जैनाचार्य लिखते धर्म की इबारत, मगर ह्रदय में सबसे पहले भारत। पशु धन बचाओ, मांस निर्यात […]

हम सभी के जीवन में, अक्सर आती है एक नई सुबह.. आपने सोचा कि क्यों प्रतिदिन एक नई सुबह आती है। जीवन को बेहतर बना लो या बदतर, पर होता ये है दिन दिन करके कुछ बदल जाता है। हम,हमारा व्यवहार, हमारा प्रेम और हमारी प्रीति.. इस तरह सबकुछ बदल […]

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लुट गई है पूरी बस्ती, बस मिट रही है हस्ती। अब आया एक मसीहा, आगम की उसमें मस्ती।। बढ़ता ही जा रहा है, सच को जिता रहा है। जिनवर का है दीवाना, राग-द्वेष नशा रहा है।। अब है समझ में आया, कुछ भी न मैंने पाया। शिवमग मिला उसी को, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।