आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।
आदरणीय राजकुमार जैन राजन जी के कविता हृदय को स्पर्श कर गए । बहुत ही सही और सार्थक भावो के साथ शानदार रचना है ।सच है वर्तमान अर्थ का ही युग है । मानव मानवीयता छोड़कर अर्थ के पीछे दौर रहे है । कवि के मन में प्रश्न उठ रहे है कि यहीं है क्या अच्छे दिन ।
वेरी नाइस၊
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अर्थ युग का चमत्कारmatruadmin April 28, 2017 अर्थ युग का चमत्कार2017-04-28T09:11:00+00:00 No Comment
जीने की कोशिश करता इंसान,
मगर कहाँ वह जी पाता..
पेड़ से गिरी सूखी पत्तियों को
पता है हमारा अतीतl
तब,
किसी की दबी-दबी सिसकियां
मद्धम-मद्धम-सी चीखें..
कानों में पड़ती थीं तो
दिल मोम की तरह पिघल जाता था,
और आत्मा की खुशबू
एक सपना बुनकर
ढँक देती थी,,,,,,,,,,,,,गजब
शुभकामनाएँ आपका स्नेह प्यार मिलता रहे
माननीय राजकुमार जी ने बहुत ही सार्थक भाव के साथ ये काव्य रचना की है । मानव अर्थ के लिए दिन-रात एक कर देते है । उपार्जन बढ़े तो अच्छा दिन आएगा ये समझ लेते है ।मगर । अर्थ जब आ जाता है इन्सान इन्सानियत भूल जाते है । कवि मन में पश्न जाग उठी है कि यहीं है अर्थ युग का चमत्कार । सौ प्रतिशत सहीं विचार । शानदार रचना ।
चिंतनशील विचारों की सुंदर शब्दों के साथ प्रस्तुति ।
बहुत शुभकामनाएँ आदरणीय
Hardik badhai.sir
हार्दिक आभर