#रेनू शर्मा’शब्द मुखर ‘जयपुर
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माँ
क्या हो तुम मेरे लिए
पूछता है सारा जहां मुझसे
सच कहूँ तो सारा जहाँ हो तुम मेरे लिए
ममता की मूरत,
दुनियां की भीड़ में मासूम-सी सूरत
अपने को गलाकर तपते रेगिस्तान में
शीतल छाँह-सी नदी सी बन प्यास बुझाती
सारी इच्छाओं को तुम पूरी करती जाती
माँ, मेरी दुनिया हो तुम
तुम ठंडी हवा का शीतल झोंका हो
जो सारी तपन मिटाता
अपने एहसासों की सुंदर बगिया में
मुझको अपनी सांसों से महकाता
मेरी अंगुली पकड़ कर भटकने से बचाता
ममता के आँचल में मुझको सहलाता
माँ, मेरी दुनियां हो तुम
सच कहूँ अनंत का विस्तार हो तुम
माँ मेरा निर्मल प्यार हो तुम
सच मेरी दुनियां हो तुम
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