मैं तेरी प्रतिबिंब हूँ ,
अक्श हूँ सुन माँ ।
तेरे ही कदमताल की
पहचान हूँ ।
आवाज हूँ तेरी
मेरी धड़कनें
मेरी जान सबकुछ
अमानत है माँ तेरी ।
मेरे शब्दों में समायी है
बस धुन तेरी ।
तन में बहता लहू का
हर कतरा है तेरा ।
मैं तैरा अक्श हूँ
प्रतिबिंब हूँ तेरी।
बिन तेरे धरा पर
आ ही नहीं पाती ।
भगवान से भी ऊँचा
स्थान है माँ तेरा ।
त्रिदेव भी सम्मुख तेरे
झुक गये थे ।
महानतम स्थान है तेरा
जननी सुन ले तेरा ।
मैं तेरा अक्श हूँ,
प्रतिबिंब हूँ तेरी ।
#डॉ.सरला सिंह
परिचय : डॉ.सरला सिंह का जन्म सुल्तानपुर (उ.प्र.) में हुआ है पर कर्म स्थान दिल्ली है।इलाहबाद बोर्ड से मैट्रिक और इंटर मीडिएट करने के बाद आपने बीए.,एमए.(हिन्दी-इलाहाबाद विवि) और बीएड (पूर्वांचल विवि, उ.प्र.) भी किया है। आप वर्तमान में वरिष्ठ अध्यापिका (हिन्दी) के तौर पर राजकीय उच्च मा.विद्यालय दिल्ली में हैं। 22 वर्षों से शिक्षण कार्य करने वाली डॉ.सरला सिंह लेखन कार्य में लगभग 1 वर्ष से ही हैं,पर 2 पुस्तकें प्रकाशित हो गई हैं। कविता व कहानी विधा में सक्रिय होने से देश भर के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख व कहानियां प्रकाशित होती हैं। काव्य संग्रह (जीवन-पथ),दो सांझा काव्य संग्रह(काव्य-कलश एवं नव काव्यांजलि) आदि पर कार्य जारी है। अनुराधा प्रकाशन(दिल्ली) द्वारा ‘साहित्य सम्मान’ से सम्मानित की जा चुकी हैं।