कविता का जन्म

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bhagat

कविता हृदय का स्पन्दन है,यूँ कहा जाए कि स्वत: स्फूर्त आत्मिक उदगार  जब संगीत से तारतम्य लेकर काव्यशास्त्रीय शैली में प्रस्फुटित होते हैं तो कविता बन जाते हैं। कविता हृदय की स्वाभाविक अनुभूतिपरक प्रक्रिया है,जिसे हम दैवीय अनुकम्पा भी कह सकते हैं। लिखना एक अलग बात है,और कविता लिख देना दूसरी बात। कविता लिखने के लिए मन का अनुशीलनपरक होना उतना ही आवश्यक है,जितना भोजन करते हुए रसास्वादन कर पाना। यदि मन विषय का मर्म छू लेता है,तो उत्पन्न होने वाले विचार प्रकट होने पर कालजयी हो जाते हैं और कविता जीवन्त हो आती है। कविता लेखन के लिए गुरु का होना तो आवश्यक है, क्योंकि वही पंकित कमल की सुवासितता को  लोक-प्रशंसा का माध्यम बना पाता है, परन्तु सहृदयता और भावों की गहनानुभूति के बिना कुशल गुरु भी हीरे में चमक उत्पन्न नहीं कर पाता है। यदि भावों की गहनता तक पहुँचना ही कवि के लिए कठिन हो तो वह व्यर्थ हो जाने वाले अवशिष्ट से अधिक नहीं है। कविता लेखन के लिए विषय की गहन जानकारी और लेखन विधाओं पर पकड़ होनी चाहिए,लेकिन अकिंचन की दृष्टि से मन की लाग नहीं है तो सर्वस्व व्यर्थ ही होगा साथ ही साथ कवि को कविता में कोई संदेश तो अवश्य ही समाहित करना चाहिए। बिना लौकिक प्रभाव के मात्र कल्पना के धरातल पर काव्य रच देना विद्वता भले ही हो,पर सुकृत तो नहीं ही कहलाएगी।

 #भगत टेलर ‘सहिष्णु’

परिचय : भगत टेलर ‘सहिष्णु’ प्रतापनगर (राजस्थान)में रहते हैं और प्रतियोगी शिक्षण कथा प्रवचन का व्यवसाय करते हैं। आप हर प्रकार के लेखन में सक्रिय हैं।

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।