एक पीपल

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priyanka bhardwaj

एक पीपल जिसे मैं सालों से
देखती रही अकेला !
चुप, शांत और दु:ख से तड़फते हुए
कंपकपातें होठ
बोलना चाहते हो अपनी हजारों ख्वाहिशें
कभी- कभी वो विद्रोह पर उतरता है
और हिला देता है अपनी शाख -शाख ,
पत्ते मचल उठते हैं, मचा देते हैं शोर
डालियों से दूर होते हुए!
पेड़ शांत हो जाता है, करने लगता पछतावा
अपने उतेजित होने पर
बहुत देर तक!
चुप खड़ा काटता रहता है अपने ही होठ़ !
एक दिन अपनी उदासियों को ओढ़े
मैं बैठी थी उसके पास जाकर!
पर देखा मैने उस दिन पेड़ बतिया रहा था
किसी से!
कभी धीरे तो कभी तेज बातों का दोर ना खत्म होने तक!
पिछली शाम कोई रख गया था
कुछ तस्वीरें जिन पर कोरे गये थे देवता
पर तड़क चुके थे काँच उनके
एक आधी टूटी मूर्ति थी!
जो कल तक भोग लगाती थी सबसे पहले किसी के घर
आज ओधीं पडी़ बतिया रही थी पीपल से
अपने अच्छे दिनों की बातें
कोई बाँध गया था कुछ धागे मोली के
पेड़ झूम रहा था हिलोरे खाते हुए!
जैसे बाँध दिये हो मंखी बच्चे के गले  में
और बच्चा खेलता रहता है दिन भर उनसे!
अकेले और उदास पीपल की दुआएँ सुन ली थी देवता ने!
अब हर रोज मूर्ति के देवता पीपल से बतलाते हैं
इंसानों की बातें!

नाम-प्रियंका भारद्वाज 
साहित्यिक उपनाम-प्रियंकाभारद्वाज 
वर्तमान पता- वी. पी. ओ मुण्डा, हनुमानगढ 
राज्य-राजस्थान 
शहर-हनुमानगढ़ 
शिक्षा- एम. ए हिंदी अध्ययनरत 
कार्यक्षेत्र- विद्यार्थी 
विधा – कविता 
प्रकाशन- विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित 
सम्मान- अभी तक इस से वचिंत है!
अन्य उपलब्धियाँ- गाँव मुण्डा में निशुल्क पुस्तकालय का संचालन! 
लेखन का उद्देश्य- समाज को बेहतर दिशा मिले! 
एक मौलिक रचना-शीर्षक सहित

Arpan Jain

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।