तू मेरी सुबह बनके आ तू मेरी शाम बनके आ दूर आसमाँ में बैठे उस खुदा का पैग़ाम बनके आ मेरी तिश्नगी का कोई हासिल है भी या नहीं गर है तो तू मेरी कोशिशों का अंजाम बनके आ तुझे चाहा जब से कोई और काम नहीं मुझे जो ज़माने […]

किसी का क्या जो कदमो पर जबी ए बंदगी रख दी हमारी चीज थी हमने जहाँ जानी वहां रख दी / जो दिल माँगा तो वो बोले ठहरो याद करने दो / जरा सी चीज थी हमने न जाने कहाँ रख दी /1/ तुम्हे अब भूल जाये तो अच्छा है […]

किसी की भी निगाह में मैं अब खुदा नहीं रहा अब तो मुझे भी गुनाह की इजाज़त मिलनी चाहिए उम्र की दहलीज पर वो अब भी एक बच्ची है उसकी हरकतों को कुछ नई सी शरारत मिलनी चाहिए आवाम कब तक यूँ ही कठपुतली सी तमाशा देखेगी सिम्त जज़्बातों को […]

नभचर से नभ छीन चुके हैं खेत-खलिहान छीन चुके हैं घोंसले बनाने को दीवारें तो खाना-पीना भी छीन चुके हैं कृत्रिम प्रकृति की रचना में हम इनका चहचहाना छीन चुके हैं जहाँ-तहाँ हैं ये व्याकुल पंछी इनसे उड़ना तक छीन चुके हैं अपनी-अपनी लालच में आके बेज़ुबानों का जीना छीन […]

तुम निकलती क्यो नही मेरे जहन से, मै तुम्हे भूलना चाहता हूं, मै तुमसे इश्क नही, नफरतों का रिस्ता चाहता हूं। मै बहुत थक गया हूं, अब मै रोना चाहता हूं जी भर के तुमसे लिपट कर मै किसी को कुछ बताने कि स्थिति में नही रहा मै टूट रहा […]

मैं तेरी प्रतिबिंब हूँ , अक्श हूँ सुन माँ । तेरे ही कदमताल की पहचान हूँ । आवाज हूँ तेरी मेरी धड़कनें मेरी जान सबकुछ अमानत है माँ तेरी । मेरे शब्दों में समायी है बस धुन तेरी । तन में बहता लहू का हर कतरा है तेरा । मैं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।