सुनो भैया, सुनो काका, सुन लो री सब बहना,
राजधर्म का पालन करके मतदान ज़रूर है करना।
जैसे हम मातृ ऋण, पितृ ऋण चुकाते हैं,
वैसे ही मतदान करके राष्ट्र ऋण चुकाना।
जैसे इहलोक से परलोक के लिए कई दान करते हो,
वैसे ही सुदृढ़ राष्ट्र के लिए यह दान “मतदान” ज़रूर करना।
पहले से ही कर लेनी है अपनी सब तैयारी,
बीएलओ से ले लेना अपनी सब जानकारी।
घर के बड़ों को भी अपनी ज़िम्मेदारी है समझना,
अठारह साल का सदस्य होने पर सूची में उसका नाम लिखवाना।
अपना बूथ, अपना नाम भी पहले से जान लेना,
अपने साथ पहचान–पत्र ले जाना मत भूल जाना।
मतदाता ही तो लोकतंत्र की रीढ़ है,
मज़बूत लोकतंत्र बनाना भी तो उसकी ज़िम्मेदारी है।
बहुत ही कीमती है एक वोट तुम्हारा,
राष्ट्र उत्थान में इस कर्त्तव्य को तुम बख़ूबी निभाना।
लोक लुभावन वादों पर न जाएँ,
धरातल से जुड़े कर्मठ व्यक्ति को ही जिताएँ।
सोच–समझ कर सही प्रत्याशी को चुनना,
वरना पाँच साल तक पड़ेगा फिर रोना।
आलस न करना,बूथ पर पहुँच जाना,
सर्वप्रथम मतदान करके फिर दूजा काम करना।
राष्ट्र के साथ ख़ुद का भी करना है उत्थान,
ठान लेना, हर हालत में करना है मतदान।
श्रीमती अनुपमा धीरेंद्र समाधिया
इंदौर