“इंसान हूँ”

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keshav
मैं इंसान हूँ,इंसान!
माना कि!दुनिया में,
हालात का मारा हूँ,
मैं एक बेसहारा हूँ,
जीती बाजी हारता हूँ,
लेकिन!मैं टूटता नहीं,
कड़े पत्थरों के तरह,
डटकर खड़ा रहता हूँ,
एक सिपाही की तरह,
फिर सामना करता हूँ,
मैं इस उम्मीद में,की!
अब मैं जीत जाऊंगा।
मैं सपने भी देखता हूँ,
मैं अपने भी देखता हूँ,
मैं पतझड़ भी सहता हूँ,
तेज ताप भी सोखता हूँ,
हर दफे कुछ सीखता हूँ,
और कुछ भूल जाता हूँ,
क्योंकि!
मैं हर एक नया सवेरा,
और हर एक नयी सांझ,
इस उम्मीद से जी रहा हूँ,
की अब मैं जीत जाऊंगा।
मैं कभी भी!
कठिनाइयों में बिखरा नहीं,
दुःखों से भी घबराया नही,
मेरे लिए कोई पराया नहीं,
सम्पूर्ण विश्व एक परिवार है,
हम सभी मे व्याप्त प्यार है,
और सभी का यही स्नेह!
मुझे कभी भी टूटने नहीं देती,
आंसू आंखों से छूटने नहीं देती,
मेरे दिल में उम्मीद जगाती है,
एक नया अहसास दिलाती है,
की!मैं कोई टूटा पत्थर नहीं,
जो फिर से जुड़ ना पाऊंगा,
मैं एक इंसान हूँ,इंसान!
अब मैं जीत ही जाऊंगा।।

            #केशव कुमार मिश्रा

 परिचय: युवा कवि केशव के रुप में केशव कुमार मिश्रा बिहार के सिंगिया गोठ(जिला मधुबनी)में रहते हैं। आपका दरभंगा में अस्थाई निवास है। आप पेशे से अधिवक्ता हैं।

Arpan Jain

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