लेकर हल काँधे पर निकल गए भूमिपुत्र सारे।
खुशियों को बांटने चले आये आषाढ़ के बादल।।
माटी की सोंधी सोंधी महक से झूम उठे खेत।
भूमिपुत्रों को मनाने आ गए आषाढ़ के बादल।।
ये इंद्रधनुषी सपनो को उम्मीदों के पंख लगाने।
फिर उमड़ घुमड़ कर आ गए आषाढ़ के बादल।।
कूप बावड़ी ताल तलैया सारे भर गए खुशी से।
दूर दूर से लेकर पानी छा गए आषाढ़ के बादल।।
खुरपी फावड़े हसिया लेकर चली गांव की गौरी।
फुहारों का मजा लुराने आ गए आषाढ़ के बादल।।
रिमझिम रिमझिम बारिश में पकौड़ी बनने लगी।
कढ़ाई का स्वाद चखने आ गए आषाढ़ के बादल।।
तोता मोर पपीहे कोयल शोर मचाये मिलकर सारे।
बागों में हरियाली करने आ गए आषाढ़ के बादल।।
कागज़ की कश्ती बनाने रंग बिरंगे ख्वाब सजाने।
झूम झूम कर खूब बरसने आ गए आषाढ़ के बादल।।
#राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’
परिचय: राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’ की जन्मतिथि-५ अगस्त १९७० तथा जन्म स्थान-ओसाव(जिला झालावाड़) है। आप राज्य राजस्थान के भवानीमंडी शहर में रहते हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है और पेशे से शिक्षक(सूलिया)हैं। विधा-गद्य व पद्य दोनों ही है। प्रकाशन में काव्य संकलन आपके नाम है तो,करीब ५० से अधिक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित किया जा चुका है। अन्य उपलब्धियों में नशा मुक्ति,जीवदया, पशु कल्याण पखवाड़ों का आयोजन, शाकाहार का प्रचार करने के साथ ही सैकड़ों लोगों को नशामुक्त किया है। आपकी कलम का उद्देश्य-देशसेवा,समाज सुधार तथा सरकारी योजनाओं का प्रचार करना है।