अधूरा हूं तुम बिन
पर उम्मीद है तुम एक दिन आओगी
कहीं से अचानक आकर
मुझसे टकराओगी।
जानोगी मेरा हाल
और मुझे देख मुस्कुराओगी
शायद उस दिन तुम
न चाहते हुए भी
मेरी बन जाओगी।
मेरा सुख-दुःख बांटोगी
मेरा जीवन मधुर बनाओगी
और मेरे हृदय में बस
मेरी काव्य धारा बन जाओगी।
फिर लिख डालूंगा इतनी कविताएं तुम पर
कि जब ढूंढोगी खुदको
तो मेरी कविताओं में ही खुदको पाओगी
और फिर कई जन्मों तक
तुम बस मेरी बनकर रह जाओगी।।
परिचय: अपनी पसंद को लेखनी बनाने वाले मुकेश सिंह असम के सिलापथार में बसे हुए हैंl आपका जन्म १९८८ में हुआ हैlशिक्षा स्नातक(राजनीति विज्ञान) है और अब तक विभिन्न राष्ट्रीय-प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं में अस्सी से अधिक कविताएं व अनेक लेख प्रकाशित हुए हैंl तीन ई-बुक्स भी प्रकाशित हुई हैं। आप अलग-अलग मुद्दों पर कलम चलाते रहते हैंl