Read Time1 Minute, 14 Second
है नहीं तब सजा जिन्दगी।
जब हुई आशना जिन्दगी।
सब खुशी मिल गई तब उसे।
हो गई जब फिदा जिन्दगी।
रुठकर यूँ चले हो ….कहाँ।
अब नहीं है अना जिन्दगी।
भूल से पाप जो हो.. गया।
फिर हुई है खता जिन्दगी।
पालकर झूठ को क्या मिले।
सच का’ ही दे पता जिन्दगी।
दर्द ही फैलता…… जा रहा।
क्यूँ रही है सता …जिन्दगी।
मौत से सामना जब हुआ।
हो गई लापता …जिन्दगी।
#सुनीता उपाध्याय `असीम`
परिचय : सुनीता उपाध्याय का साहित्यिक उपनाम-‘असीम’ है। आपकी जन्मतिथि- ७ जुलाई १९६८ तथा जन्म स्थान-आगरा है। वर्तमान में सिकन्दरा(आगरा-उत्तर प्रदेश) में निवास है। शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत)है। लेखन में विधा-गजल, मुक्तक,कविता,दोहे है। ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय सुनीता उपाध्याय ‘असीम’ की उपलब्धि-हिन्दी भाषा में विशेषज्ञता है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिन्दी का प्रसार करना है।
Post Views:
625
Mon Feb 26 , 2018
भैयाजी का नाम है भगवान् स्वरूप किन्तु लोग इन्हे भाईचारे के कारण भैयाजी शब्द से संबोधित करते है। शादी-विवाह, मौत-मरकत, जाति-बिरादरी, जान-बरात, स्कूल-अस्पताल, थाना-चुगीनाका कहीं पर भी आपके दर्षन हो सकते है। कभी वे किसी से बतियाते, ताल ठोंकते, हाथ उठाते, नारा लगाते, तख्ती पकड़े, माइक थामे, रेली में धरने […]