बूँद-बूँद में गुम सा है ये सावन भी तो तुम सा है बूँद-बूँद में गुम सा है ये सावन भी तो तुम सा है एक अजनबी एहसास है कुछ है नया, कुछ ख़ास है कुसूर ये सारा मौसम का है बूँद-बूँद में गुम सा है ये सावन भी तो तुम […]

बजेंगे ढोल-ताशे भी, बंटेंगे अब बताशे भी। खनक सिक्कों की अब होगी, रौनकें हर कहीं होगी। आया मौसम चुनावों का… कोकिलें अब न कूकेंगी ध्वनि दादुर की गूंजेगी। अपनी ये राग छेड़ेंगे, वादों के तीर छोड़ेंगे। आया मौसम चुनावों का… झूठ के बीज फूटेंगे- शाबासी खूब लूटेंगे, मस्ती के जाम […]

देश मेरा था,सोने की चिड़िया, फैंक के साडी,उतार के चुडियां , अब यहाँ डोले पश्चिमी गुडिया, सोना ले गऐ बेदर्द फिरंगी, रोये चिड़िया देख पेडों की तंगी, इतिहास था जिसकी महान गाथा, आज वहां समाज बना दोरंगी, उनके ही तन के दो हिस्से,       “भारत-पाक” तैयार खडे लडने […]

मैं छुपाती हूं,अपने भीतर प्यार, छुपाता हैं, सबूत जैसे हत्यारा, जुआरी अपना -अपना दारिद्रय, ओस अपने भीतर छुपाती है,जैसे भाप,बर्फ जैसे तरलता , सदगृहस्थनें छुपाती है,जैसे अपनी पुरानी चिट्ठियां, मछलियां अपने आँसू, समुद्र जैसे अपनी प्यास, कुत्ता जैसे भविष्य में छुपाता हैं, रोटी का एक टुकड़ा, उस तरह जिस तरह […]

तन से मन का बस ये ….कहना। फिर फिर जीना फिर फिर मरना। **** उसको देखो दुख मत …… देना। जिससे तुमने सीखा ……सहना। **** इन आँखों के आँसू……. पौंछो। मौत रही  है  मेरा…….. गहना। **** जब जाऊँ जग से मैं सुन लो। आँखों से कहना मत बहना। **** आज […]

झूमें नाचें गाएं हम खुद हर्षें  व सबको  हरषायें हम, व्रृक्षारोपण के द्वारा धरती को स्वर्ग को बनायें हम। धरती का रूप सजाकर हरियाली की चादर ओढायें हम, हरी-भरी  कर धरती  को  दुनिया जग   हरयाएँ  हम । माँ से बढकर धरती माँ हैअपना फर्ज  निभाएँ  हम, पूजा करके मात्रभूमि का […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।