बूँद-बूँद में गुम सा है ये सावन भी तो तुम सा है बूँद-बूँद में गुम सा है ये सावन भी तो तुम सा है एक अजनबी एहसास है कुछ है नया, कुछ ख़ास है कुसूर ये सारा मौसम का है बूँद-बूँद में गुम सा है ये सावन भी तो तुम […]
sunita
मैं छुपाती हूं,अपने भीतर प्यार, छुपाता हैं, सबूत जैसे हत्यारा, जुआरी अपना -अपना दारिद्रय, ओस अपने भीतर छुपाती है,जैसे भाप,बर्फ जैसे तरलता , सदगृहस्थनें छुपाती है,जैसे अपनी पुरानी चिट्ठियां, मछलियां अपने आँसू, समुद्र जैसे अपनी प्यास, कुत्ता जैसे भविष्य में छुपाता हैं, रोटी का एक टुकड़ा, उस तरह जिस तरह […]