पुस्तक समीक्षा…………………
ये वक्त हिन्दी ग़ज़ल के लिए इस अर्थ में बेहतर है कि आज हिन्दी ग़ज़ल आलोचना के केन्द्र में भी हैं। ग़ज़ल पर आलोचना की जितनी किताबें आ रही हैं और पढ़ी जा रही हैं,ये इस बात का प्रमाण है कि हिन्दी ग़ज़ल हिन्दी कविता की महत्वपूर्ण विधा बन गई है।
थोड़े वक्त पहले ही आलोचक जीवनसिंह की किताब ‘आलोचना के केन्द्र में हिन्दी ग़ज़ल’ -प्रकाशित हुई थी और थोड़े ही अंतराल में ये दूसरी किताब ‘दस ख़त’ आ गई है। ये दस ख़त असल में हिन्दी ग़ज़ल के दस नुमाइंदा शायरों का मूल्यांकन है,जिसे जीवनसिंह के सम्पादन में तैयार किया गया है। यहाँ रामकुमार कृषक भी हैं तो ज़हीर और विनय मिश्र भी। शायरों की मुख़्तसर जीवनी के साथ उनकी प्रतिनिधि ग़ज़लें इस किताब की खास विशेषता है। खास बात ये भी है कि इन दस शायरों के बारे में देश के कोने-कोने से दस आलोचकों ने अपने विचार रखे हैं।
शिवशंकर सिंह मानते हैं कि रामकुमार कृषक एक परिवर्तनकारी शायर हैं। ज्ञानप्रकाश विवेक को जानकीप्रसाद शर्मा कुछ हटकर लिखने वाले शायर के रूप में देखते हैं। वेदप्रकाश अमिताभ का नज़रिया है कि ज़हीर कुरैशी की शायरी में मिथक है,वहीं विनय मिश्र की शायरी में जो बेचैनी और छटपटाहट है उसका जायजा अनिल राय लेते हैं।
कहना न होगा कि ये सब हिन्दी के वो शायर हैं जिनके दमखम से हिन्दी ग़ज़ल स्वीकारी और सराही जा रही है.। जीवनसिंह के साथ हिन्दी के अन्य आलोचक भी ग़ज़ल पर लिख रहे हैं। शोध के लिए हिन्दी ग़ज़ल एक रुचिकर विषय बन पड़ा है।
आज ये ग़ज़ल उर्दू से अलग अपनी पहचान बना चुकी है। हिन्दी ग़ज़ल को साहित्य की नई विधा भी नहीं कहा जा सकता, ये उतनी ही पुरानी है जितने पुराने अमीर खुसरो और कबीर हैं।
हाँ,ये अलग बात है कि हिन्दी ग़ज़ल को थोड़ी सँभालने की भी ज़रूरत है। भाषा के दृष्टिकोण से हिन्दी शब्दों के आग्रही हिन्दी ग़ज़ल की तासीर छीन रहे हैं। बहरों के बंदिश को ही ग़ज़ल समझने की भूल की जा रही है। अगर ग़ज़ल में ग़ज़लीयत नहीं तो उसे ग़ज़ल समझना हमारी भूल होगी। ग़ज़ल न किसी दुराग्रह को पसंद करती है और न ही उसे कोई जिद पसंद है। विनय मिश्र इसी किताब में जब कहते हैं…
‘हमने चाहा ये हादसा होना,
रात के बात रात का होना’।
तो शेर बस एक खूबसूरत शेर होता है,भाषा की दीवार ढह जाती है.।
उदहारण के लिए इसी ग्रन्थ के एक-दो और शेर देखें जो अपनी खुसूसियत रखते हैं…
‘आपस में अगर अपनी,
मोहब्बत बनी रहे।
इस खौफ़नाक दौर में,
हिम्मत बनी रहे’।
-हरेराम समीप
ज़िंदगी मैंने तुझे देर से पहचाना था।
-ज्ञानप्रकाश विवेक
#डॉ.जियाउर रहमान जाफरीपरिचय : डॉ.जियाउर रहमान जाफरी की शिक्षा एम.ए. (हिन्दी),बी.एड. सहित पीएचडी(हिन्दी) हैl आप शायर और आलोचक हैं तथा हिन्दी,उर्दू और मैथिली भाषा के कई पत्र- पत्रिकाओं में नियमित लेखन जारी हैl प्रकाशित कृति-खुले दरीचे की खुशबू(हिन्दी ग़ज़ल),खुशबू छूकर आई है
और चाँद हमारी मुट्ठी में है(बाल कविता) आदि हैंl आपदा विभाग और राजभाषा विभाग बिहार से आप पुरुस्कृत हो चुके हैंl आपका निवास बिहार राज्य के नालंदा जिला स्थित बेगूसराय में हैl सम्प्रति की बात करें तो आप बिहार सरकार में अध्यापन कार्य करते हैंl