समय ये सबसे ही बलवान,
बना दे निर्धन को धनवान l
बनाया जिसने इसको मीत,
मिलेगी उसको निश्चय जीत l
मगर जब बदली इसने चाल,
हो गई सूनी-सूनी डाल l
दिखाई देते सूखे ताल,
कभी ये भी थे मालामाल l
इसी ने खेले सारे खेल,
तभी नभ छूती निर्बल बेल l
विजय करती है तब अभिषेक,
बदल जाती है किस्मत रेख l
समय कब लेता है विश्राम,
निरन्तर चलता है अभिराम l
यही कर देता दिन को रात,
अलग ही है इसमें कुछ बात l
कभी दुख का पकड़ता हाथ,
कभी सुख ले आता है साथ l
उड़ा देता है ये उपहास,
बना देता है ये ही खास l
कभी ये लगता जलती आग,
कभी ये लगता मीठा राग l
चला कुदरत पर किसका जोर,
मचा ले चाहे कितना शोर l
#सुनीता काम्बोज
परिचय : १९७७ में जन्मीं सुनीता काम्बोज जिला-करनाल(हरियाणा)से हैंl। आप ग़ज़ल,छंद,गीत,हाइकु,बाल गीत,भजन एवं हरयाणवी भाषा में भी लिखती हैं। शिक्षा हिन्दी और इतिहास में परास्नातक हैं।`अनुभूति`काव्य संग्रह प्रकशित हो चुका है toब्लॉग पर भी सक्रिय हैं। कई राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर कविताओं और ग़ज़लों का प्रकाशन होता है। आपकी कविताओं की प्रस्तुति डीडी दूरदर्शन पंजाबी एवं अन्य हिन्दी कवि दरबार में भी हुई है। आपका संपर्क स्थल पंजाब और स्थाई पता गाँव रत्नगढ़(पोस्ट–दामला)जिला यमुनानगर(हरियाणा)है।