सुनो ज़रा इक बात कबूतर तुम रहते थे छत के ऊपर मगर नज़र न अब आते हो चले कहां तुम फिर जाते हो कहा कबूतर सुन मेरे भाई तुमने ही ये आफत लाई दिये काट जंगल को सारे यही पेड़ थे मेरे सहारे नहीं दूर तक मिलता पानी आग उगलती […]
अज्ञेय की अलंकारधर्मिता के नव्य आयाम….. ये डा प्रभात कुमार प्रभाकर की आलोचना की नई किताब है. ये कहने की कतई ज़रूरत नहीं कि अज्ञेय पर अब तक जितनी भी किताबें हैं उसमें अलंकार की दृष्टि से उनकी रचनाओं को समझने का यह पहला प्रयास है. ज़ाहिर है रचनाकार ने […]
उसमें आवाज़ कुछ तुम्हारी लगे मुझको कोयल की कूक प्यारी लगे मैंने सीखा है जबसे सच कहना मेरी हर बात ही कटारी लगे खीर घर घर में क्यों बंटा आख़िर मुझको दुल्हन का पांव भारी लगे बस कि बदनाम हो गये हम – तुम मेरी खिड़की तेरी अटारी लगे बस […]
इन दिनों हिन्दी कविता में सबसे अधिक चर्चा हिन्दी ग़ज़ल की है.आज हिन्दी ग़ज़ल को जिन लोगों ने इस मुकाम पर लाया है उसमें एक महत्वपूर्ण नाम विनय मिश्र का भी है.विनय मिश्र हिन्दी के समर्पित ग़ज़लगो हैं जिनके पास ग़ज़ल वाला लहजा भी है.वो ग़ज़ल में उन विषयों को […]
ज़रूरी क्या है अभी आ के लौट जाने की ज़रा सी लाज तो रख लो गरीबखाने की सुना है वो यकीं जीतने में रखता है सुना है उसकी भी आदत थी हार जाने की खुदा ने फिर से बचाया अना परस्तों से किसी ने आबरू रख ली गरीबखाने की वो […]
पुस्तक समीक्षा………………… ये वक्त हिन्दी ग़ज़ल के लिए इस अर्थ में बेहतर है कि आज हिन्दी ग़ज़ल आलोचना के केन्द्र में भी हैं। ग़ज़ल पर आलोचना की जितनी किताबें आ रही हैं और पढ़ी जा रही हैं,ये इस बात का प्रमाण है कि हिन्दी ग़ज़ल हिन्दी कविता की महत्वपूर्ण विधा […]
आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है।
आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया।
इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं।
हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।