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चटके हुए तो थे ही लो जी बिखर गए।
अल्फाज कुछ तुम्हारे आज घर कर गए॥
मुद्दत के बाद आए मिलने मजार पर।
मुस्कुराकर बोले कब आप मर गए॥
हुआ तो कुछ जरुर है कोई तो सबब है।
क्यों दिल में रहने वाले ही दिल से उतर गए॥
हर आदमी खड़ा था संग लिए हाथ में।
भूलकर ‘अमित’ तेरे शहर से गुजर गए॥
#अमित शुक्ला
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