Read Time2 Minute, 13 Second
देशप्रेम की न सिर्फ बात होना चाहिए,
इसके लिए लोगों,कुछ प्रयास होना चाहिए।
जंगे मैदान के अलावा भी होते कई काम हैं,
जो समाज में रहकर कर सकते हम, वो काम हैं।
भारत महान है,ये मेरी शान है,
वीरों का मेरे,ये अभिमान है।
हो गंगा गोरी की रक्षा,करें गाय की सुरक्षा
यही देना हमें अब,युवाओं को शिक्षा है।
वंसती पहन के रंग चोला,गीत भारत के गाती हूँ,
शहीदों की कुर्बानी की मैं तुमको याद दिलाती हूँ।
कि दुश्मन के देश की हम ,ईंट से ईंट बजा देंगे,
दिल मैं लगी है आग मेरे,इसलिए मैं ये गाती हूँ॥
#मनोरमा संजय रतले
परिचय : मनोरमा संजय रतले की जन्मतिथि- १७ मार्च १९७६ और जन्म स्थान-कटनी(मध्यप्रदेश)है। आपने अर्थशास्त्र में एमए की शिक्षा प्राप्त की है। कार्यक्षेत्र-समाजसेवा है। आपका निवास मध्यप्रदेश के दमोह में ही है।सामाजिक क्षेत्र में सेवा के लिए दमोह में कुछ समितियों से सदस्य के रुप में जुड़ी हुई हैं,तो कुछ की पूर्व अध्यक्ष हैं। लेखन में आपकी विधा-कविता,लघुकथा,लेख तथा मुक्त गीत है। आपकॊ हिन्दी लेखिका संघ दमोह से साहित्य श्री सम्मान,छत्तीसगढ़ से महिमा साहित्य भूषण सम्मान,छत्तीसगढ़ से प्रेरणा साहित्य रत्न सम्मान सहित भोपाल से
शब्द शक्ति सम्मान एवं आयरन लेडी ऑफ दमोह से भी सम्मानित किया गया है। विविध पत्रों में आपकी रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। श्रीमती रतले के लेखन का उद्देश्य-शौक,समाज के लिए कुछ करना और विचारों की क्रांति लाना है।
Post Views:
360